लखनऊ में डॉक्टर की लापरवाही से जच्चा-बच्चा की मौत हो गई है। 8 महीने की गर्भवती महिला को सरकारी आशा बहू ने कमीशन के चक्कर में निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहां 2 दिनों तक इलाज चला, लेकिन महिला की हालत बिगड़ती चली गई। इससे महिला और गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो गई। घटना जानकीपुरम के प्राइवेट हॉस्पिटल की है।
जानकारी के मुताबिक मृत महिला का नाम देवान्ती यादव (35) था। वह पति सूरज यादव के साथ मड़ियांव के सीतापुर रोड गायत्री नगर में रहती थी। देवान्ती 8 महीने की गर्भवती थी। 5 जुलाई को उसे दर्द उठा तो गांव की आशा बहू से संपर्क किया गया। आशा बहू ने कमीशन के चक्कर में उसे सरकारी हॉस्पिटल की जगह जानकीपुरम के पारुल हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया।
वहां इलाज के दौरान महिला की हालत बिगड़ने लगी। इसके बावजूद हॉस्पिटल में इलाज कर रही डॉक्टर प्रियंका मिश्रा ने मरीज को रेफर नहीं किया। मृत महिला के पति का आरोप है कि डॉक्टर ने कहा- हॉस्पिटल से कोई पर्चा नहीं मिलेगा, ऐसे ही ले जाना है तो ले जा सकते हो।
जच्चा-बच्चा की मौत के बाद पहुंची पुलिस
परिजनों का आरोप है कि सही इलाज नहीं मिलने की वजह से महिला और गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। परिजनों की शिकायत पर पुलिस पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। इंस्पेक्टर जानकीपुरम ने बताया कि मृतक महिला के परिजनों की ओर से मिली तहरीर के आधार पर रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय भेजी गई है।
सीएमओ कार्यालय से रिपोर्ट आने के बाद पुलिस मुकदमा लिखकर कार्रवाई करेगी। वहीं, इस घटना पर तीमारदार सपा नेता पूजा शुक्ला के पास पहुंचे। पूजा शुक्ला अपने समर्थकों के साथ जानकीपुरम थाने पहुंचीं।
उन्होंने कहा- इस मामले पर पुलिस पहले तो डॉक्टर को गिरफ्तार करे। इसके साथ ही चेतावनी दी की अगर हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो अस्पताल के साथ थाना का घेराव भी करेंगे।
पूजा ने कहा कि पुलिस और सीएमओ कार्यालय में बैठे जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण ही प्राइवेट हॉस्पिटल में धनउगाही की घटनाएं बढ़ रही हैं। वहीं, परिजनों का सवाल है कि जच्चा-बच्चा की मौत का जिम्मेदार कौन है। डॉक्टर या हॉस्पिटल मैनेजमेंट? इस सवाल का जवाब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है।