लखनऊ से बीमार पति को एंबुलेंस से घर ले जा रही महिला से दुष्कर्म के प्रयास के मामले में गाजीपुर पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान कुनारगंज अयोध्या के रहने वाले ऋषभ सिंह पुत्र राजेश सिंह के रुप में हुई है।
हालांकि इस पूरे मामले में बस्ती से लेकर लखनऊ तक की पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बस्ती में हुई घटना को पुलिस ने लखनऊ की घटना बताकर टरका दिया था। लखनऊ की गाजीपुर पुलिस ने भी दो दिनों तक मामला दबाए रखा।
मीडिया में आने के बाद मामला दर्ज किया गया। मामले में गाजीपुर पुलिस का कहना था कि घटनास्थल बस्ती का था। इसलिए इंस्पेक्टर को भेजकर मौके से जांच कराई गई। इसके बाद मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश शुरू की गई।
- क्या था पूरा मामला
सिद्धार्थनगर की रहने वाली एक महिला अपने बीमार पति को 28 अगस्त को इंदिरा नगर के सी-ब्लॉक स्थित इंमीरिया न्यूरो साइंसेज मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। मरीज की काफी क्रिटिकल कंडीशन थी।
अगले ही दिन पैसों की कमी की वजह से महिला 29 अगस्त को अपने पति को वापस लेकर जाने लगी। अस्पताल की तरफ से दिए गए नंबर पर संपर्क कर प्राइवेट एंबुलेंस बुलाया। शाम साढ़े छह बजे एंबुलेंस से रवाना हुई। देर रात बस्ती पहुंची थी, तभी रास्ते में एंबुलेंस चालक व उसके साथी ने महिला से रेप की कोशिश की।
महिला के भाई को एंबुलेंस की अगली सीट पर बैठाकर लॉक कर दिया। महिला के विरोध करने पर रास्ते में मरीज का ऑक्सीजन मॉस्क हटाकर एंबुलेंस से उतार दिया। उनका मोबाइल, रुपए, कपड़े आदि लेकर भाग गए।
भाई ने पुलिस कंट्रोल रूम और एंबुलेंस को कॉल किया। एंबुलेंस से पहले जिला अस्पताल और फिर बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर किया गया। जहां 30 अगस्त की रात करीब नौ बजे मरीज की मौत हो गई।
अंतिम संस्कार के बाद शिकायत करने पहुंचा परिवार
31 अगस्त को शव का अंतिम संस्कार करके अगले दिन छावनी थाने की एक चौकी के पुलिसकर्मियों से केस दर्ज कराने आए। पुलिसकर्मियों ने यह कहकर टरका दिया कि एंबुलेंस लखनऊ से बुक की गई थी। इस पर पीड़ित परिवार ने लखनऊ आकर तहरीर दी। हालांकि पुलिस ने यहां भी केस दर्ज नहीं किया।
लखनऊ की गाजीपुर पुलिस भी दबाए रही तहरीर
पीड़िता के भाई के मुताबिक 1 सितंबर को गाजीपुर थाने में तहरीर दी थी। पुलिस ने कहा था कि जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी। जबकि ऐसे मामलों में पीड़िता कहीं भी एफआईआर दर्ज करवा सकती है। इसके बाद जीरो एफआईआर ट्रांसफर हो जाती है। एसएचओ गाजीपुर ने बताया कि जांच करवाकर यहीं पर केस दर्ज हुआ है।