लखनऊ हाईकोर्ट में शुक्रवार को आधा किलो चाइनीज लहसुन सील कर दिया गया। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। याची और वकील मोतीलाल यादव खुद कोर्ट में आधा किलो लहसुन लेकर पहुंच गए। इस मौके पर केंद्र सरकार की तरफ से डिप्टी सालिसिटर जनरल और राज्य सरकार के वकील भी मौजूद थे
खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारी विजय सिंह ने कोर्ट के सामने लहसुन सील किया गया। बैन के बाद भी चाइनीज लहसुन बिकने पर कोर्ट ने विभागीय अधिकारियों को तलब किया था। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने खाद्य एवं सुरक्षा विभाग विभाग के अधिकारी से 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने को कहा है। 1 अक्टूबर को फिर सुनवाई होगी।
10 साल पहले केंद्र सरकार ने बैन किया था
चाइनीज लहसुन को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए केंद्र सरकार ने साल 2014 में बैन कर दिया था। इसी को लेकर 25 सितंबर को स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया था, सस्ता होने की वजह से चाइनीज लहसुन बाजार में बिक रहा है। विभाग कार्रवाई का सिर्फ दिखावा कर रहा है।
अफसर बोले- टोल फ्री नंबर जारी किया
कोर्ट में खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया, चीनी लहसुन की सूचना देने के लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर (18001805533) जारी किया है। टीमें बनाकर मंडियों में छापेमारी की गई, लेकिन चाइनीज लहसुन मार्केट में नहीं मिला।
कोर्ट ने पूछा- बैन के बाद भी कैसे बिक रहा चाइनीज लहसुन
कोर्ट ने पूछा कि चाइनीज लहसुन बाजारों में कैसे खुलेआम बेचा जा रहा, जबकि उस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि देश में प्रतिबंधित चाइनीज लहसुन को रोकने के लिए क्या तंत्र है?
याची ने कोर्ट में ये तर्क दिए
- हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याची अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने लखनऊ की चिनहट बाजार से खरीदकर लाया आधा किलो चाइनीज लहसुन पेश किया।
- उन्होंने कहा- चीन का लहसुन 2014 से ही देश में प्रतिबंधित है। लेकिन, अब तस्करी के जरिए मार्केट में आ रहा है। चाइनीज लहसुन पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया, क्योंकि यह सेहत के लिए हानिकारक है।
- चाइनीज लहसुन में कीटनाशकों का खूब इस्तेमाल होता है। इसके फंगसयुक्त होने का भी डर होता है।
- प्रतिबंध के बावजूद देसी लहसुन से काफी सस्ता होने से चाइनीज लहसुन अवैध तरीके से बाजार में उतारा जा रहा है। इस पर केंद्र और राज्य सरकारें लगाम लगाने में असमर्थ दिख रही हैं।
चाइनीज लहसुन को लेकर विवाद की यह है वजह
यूपी में लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर समेत कई जिलों की मंडियों में पिछले 3-4 महीनों से 25-30 हजार रुपए क्विंटल के भाव से लहसुन बिक रहा है। इन्हीं मंडियों में चीन से भी लहसुन आ रहा है। यह 18 से 20 हजार रुपए क्विंटल बिक रहा है। सस्ता होने की वजह से इसकी ज्यादा खपत है।
लहसुन स्टॉक करने वाले व्यापारियों को नुकसान
मंडी के व्यापारियों का कहना है, चीनी लहसुन की एंट्री से उन्हें प्रति क्विंटल 5000 से 7000 रुपए तक नुकसान हो सकता है। यही स्थिति लहसुन उत्पादक किसानों की है। उन्हें चीनी लहसुन के कारण अपनी उपज सस्ते में बिकने की आशंका है। ऐसे में किसानों के साथ ही मंडी कारोबारियों को भी चाइनीज लहसुन की आवक से चिंता सता रही है।
चाइनीज लहसुन बेचने वालों को तलाश रही STF
लखनऊ में चाइनीज लहसुन बिकने की बात सामने आते ही जांच एजेंसियां सक्रिय हो गईं। STF की टीमें भी मंडियों में छानबीन कर रही हैं। हालांकि अभी तक इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। एफएसडीए की टीम ने गुरुवार को चिनहट इलाके की मंडियों से भी लहसुन के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे। बुधवार को सीतापुर रोड और दुबग्गा मंडी से लहसुन के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे थे।
उधर, महाराजगंज, लखीमपुर खीरी और बहराइच के आसपास चौकसी बढ़ा दी गई है। इन रूटों से आने वाले वाहनों के साथ-साथ लहसुन का थोक कारोबार करने वालों पर भी नजर रखी जा रही है।
चीन में पैदा होता दुनिया का दो तिहाई लहसुन
चीन दुनिया में सबसे ज्यादा लहसुन उगाता है। भारत लहसुन के उत्पादन में दूसरे नंबर पर है, वहीं बांग्लादेश तीसरे नंबर पर है। 2021 में चीन में 20.45 मिलियन टन से ज्यादा लहसुन की पैदावार हुई। भारतीय बाजार में चीनी लहसुन की भरमार है। इस लहसुन की खासियत इसकी मोटी कलियां हैं। यह देखने में भी अन्य लहसुन से अच्छा लगता है।
जानिए कितना खतरनाक होता है चाइनीज लहसुन?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है, चाइनीज लहसुन सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। इसमें मौजूद फंगस से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ये लहसुन नेचुरल प्रोसेस से पैदा नहीं होता। इसे आर्टिफिशियल तरीके से पैदा किया जाता है। चाइनीज लहसुन में केमिकल और कीटनाशकों का खूब इस्तेमाल होता है।
भारत में इसकी खेती पर रोक है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक है। चाइनीज लहसुन में सिंथेटिक पदार्थ होते हैं। चाइनीज लहसुन में मेटाइल ब्रोमाइड नाम का जहरीला केमिकल होता है। इसके लंबे समय तक सेवन से लीवर, किडनी और नसों की समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही आंखों की रोशनी में कमी हो सकती है।
शहद में डूबा लहसुन खाने से इम्यूनिटी मजबूत और बीमारी दूर रहती है। लेकिन लहसुन देसी होना चाहिए।
ऐसे पहचानें चाइनीज लहसुन
साइज में अंतर : जब भी लहसुन खरीदें तो ध्यान रखें कि लहसुन की गांठ का साइज छोटा हो, क्योंकि देसी लहसुन, चाइनीज गार्लिक के मुकाबले कुछ छोटा होता है।
बारीक तुरी : जहां देसी लहसुन की कलियां बारीक और पतली होती हैं, वहीं चाइनीज लहसुन की कलियां खिली हुईं और मोटी होती हैं।
रंग में अंतर : चाइनीज लहसुन केमिकल्स के इस्तेमाल से बनता है। इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का इस्तेमाल होता है। ऐसे में यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार होता है। देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए होता है।
खुशबू में अंतर : जब भी आप लहसुन खरीदें, तो गांठ की एक कली को तोड़कर सूंघें। देसी लहसुन की गंध तेज और तीखी होती है, जबकि चाइनीज लहसुन में इतनी तेज गंध नहीं आएगी।
छीलने में आसान : चाइनीज लहसुन छीलने में आसान होता है। देसी लहसुन को इसकी बारीक और पतली कलियों के चलते छीलना थोड़ा मुश्किल होता है।