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Rajdhani लखनऊ में मौत के बाद भी वेंटिलेटर सपोर्ट का फ्रॉड:अस्पताल में परिजनों का हंगामा; रिटायर्ड टीचर की हड्डी का हुआ था ऑपरेशन

लखनऊ में निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट देने का आरोप लगा है। - Dainik Bhaskar
लखनऊ में निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट देने का आरोप लगा है।

लखनऊ के निजी हॉस्पिटल ने मरीज की मौत के बाद भी फ्रॉड किया। मरने के बाद मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने का झांसा दिया। परिजनों से वसूली की गई। इसकी जानकारी होने पर परिवारवालों ने जमकर हंगामा किया। मामला रविवार सुबह चौक के यूनाइटेड अस्पताल का है।

हंगामे से जुड़ा वीडियो भी सामने आया है। इसमें मरीज के परिजन, अस्पताल वालों पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं, अस्पताल संचालकों का कहना है कि हमने गलत किया है, तो हमारे साथ भी गलत होगा। हालांकि मृतक के परिजनों ने न्याय की गुहार लगाई है।

लखनऊ के यूनाइटेड अस्पताल में मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया।
लखनऊ के यूनाइटेड अस्पताल में मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया।

रिटायर्ड टीचर की हड्डियों का हुआ था ऑपरेशन ​​​

मृतक के बेटे गोविंद ने बताया कि मेरे पिता नरेश चंद्र, बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर पद से रिटायर हो चुके थे। 26 दिसंबर को मोहनलालगंज के सिग्मा ट्रॉमा सेंटर में कुल्हे की सर्जरी के लिए भर्ती कराया था। यहां आयुष्मान कार्ड के जरिए सर्जरी हुई।

सर्जरी के बाद डिस्चार्ज करके जब हम घर ले गए, तो कुछ दिनों बाद से उन्हें परेशानी होने लगी। पहले सांस फूलने की समस्या हुई पर बाद में टांके भी पक गए। इस बीच दर्द भी बढ़ गया। इसके बाद उन्हें आशियाना के क्रिटिकेयर अस्पताल में भर्ती कराया।

यह तस्वीर रिटायर्ड टीचर नरेश चंद्र की है, जिनकी मौत के बाद भी वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।
यह तस्वीर रिटायर्ड टीचर नरेश चंद्र की है, जिनकी मौत के बाद भी वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।

लाखों खर्च के बाद भी नहीं हुआ सुधार

गोविंद ने बताया कि यहां इलाज के दौरान करीब ढाई लाख का खर्चा आया। इसके बावजूद उन्हें पूरी तरह से राहत नहीं मिली। इलाज की रकम लगातार बढ़ने के कारण उन्हें मल्हौर के MMC हॉस्पिटल में शिफ्ट कराया। यहां भी पहले सुधार था, लेकिन अचानक हालत बिगड़ गई।

वहां के डॉक्टरों ने KGMU या लोहिया संस्थान लेकर जाने को कहा। पर दोनों ही जगह बेड खाली न होने पर यूनाइटेड अस्पताल लेकर जाने को मजबूर होना पड़ा। फिर हम हम उन्हें लेकर यूनाइटेड अस्पताल पहुंचे।

यहां भर्ती करने के बाद से मौके पर मरीज को देखने के लिए एक भी डॉक्टर नहीं थे। अस्पताल के ही कुछ लोग फोन करके डॉक्टर से बात कर रहे थे और मरीज का इलाज कर रहे थे।

रविवार सुबह मौत की जानकारी मिलने पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया।
रविवार सुबह मौत की जानकारी मिलने पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

16 जनवरी को कराया यूनाइटेड अस्पताल में भर्ती

गोविंद ने बताया कि 16 जनवरी यानी गुरुवार की रात पिता को यूनाइटेड अस्पताल में भर्ती कराया था। भर्ती करने से पहले अस्पताल के संचालक शैलेश और भूपेंद्र से मिलकर बात भी की थी। दोनों ने भरोसा दिया कि बेहतर इलाज मिलेगा और तीन दिन के अंदर स्वस्थ करके मरीज को घर भेज देंगे। इसके बाद 3 दिन बीत गया, तब भी इलाज शुरू नहीं हुआ।

हालत बिगड़ी, नहीं आया कोई डॉक्टर

बेटे ने बताया कि इस बीच मरीज की हालत तेजी से बिगड़ती चली गई। इसके बावजूद कोई डॉक्टर नहीं आया। जब हमने बार-बार आपत्ति जताई, तब इन्होंने फोन करके एक डॉक्टर को मुश्किल से बुलाया। रविवार को सुबह हमें बताया गया कि मरीज की हालत क्रिटिकल है।

मृत होने के बाद भी वेंटिलेटर पर लिटाया

परिजनों का आरोप है, कि मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल वालों ने वसूली करने के लिए सुबह वेंटिलेटर सपोर्ट देने का झांसा दिया। कुछ ही देर के बाद हमें यह बताया कि मरीज नहीं बचा है, उनकी मौत हो चुकी है। इससे परिजन सकते में आ गए।

मृतक नरेश चंद्र के बेटे गोविंद ने बताया कि अस्पताल के लोगों ने मरने के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट दिया।
मृतक नरेश चंद्र के बेटे गोविंद ने बताया कि अस्पताल के लोगों ने मरने के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट दिया।

20 हजार एडवांस लिए, लाखों का बिल बना रहे

परिजनों ने बताया कि अस्पताल ने इलाज के नाम पर पहले ही 20 हजार रुपए एडवांस जमा करा लिए थे। वहां न कोई डॉक्टर था और न ही कोई सपोर्ट दिया गया था। मरने के बाद वेंटिलेटर पर रखकर लाखों का बिल बनाने की तैयार अस्पताल ने की थी।

2 बार हो चुका ऑपरेशन, गंभीर हालत में किया इलाज

यूनाइटेड हॉस्पिटल संचालक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मरीज की उम्र करीब 74 साल थी। उनका 2 बार पहले ही ऑपरेशन हो चुका था। उनकी कंडीशन बेहद गंभीर थी और कोई भी इलाज करने को तैयार नहीं था। हमने इलाज शुरू किया। हम 4 साल से अस्पताल चला रहे हैं, कभी कोई ऐसा आरोप नहीं लगा।

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