
रायबरेली में मंगलवार तड़के हुए हादसे में लखनऊ के रहने वाले चार लोगों की मौत हो गई। दोपहर बाद जब शव लखनऊ पहुंचा तो पूरे मोहल्ले में मातम छा गया। हर तरफ बस एक ही चर्चा थी आखिर ये घटना हुई कैसे?
मरने वालों में तीन तेलीबाग के बलदेव कॉलोनी निवासी दीपेंद्र सिंह रावत, रजनी दसौनी और माया उपाध्याय थी। वहीं एक ब्राह्मण टोला निवासी आशीष द्विवेदी थे। आशीष मोहल्ले के मंदिर में पुजारी थे। उन्हीं की गाड़ी से सब महाकुंभ नहाने प्रयागराज जा रहे थे।

सबसे पहले जाने घटनाक्रम
रायबरेली जनपद के भदोखर थाना क्षेत्र के मुंशीगंज के पास मंगलवार सुबह गलत दिशा से आ रही सरिया सीमेंट से लदी ट्रैक्टर ट्राली और क्वालिस में आमने-सामने भिड़ंत हो गई। जिसमें क्वालिस में सवार बलदेव विहार में रहने वाले दीपेंद्र सिंह रावत (40) पत्नी कविता,रजनी दसौनी (70), माया उपाध्याय (45),शुभम (28),अनुज कुमार त्रिपाठी(30), प्रभा नेगी, ललिता और ब्राह्मण टोला निवासी आशीष द्विवेदी (40) गंभीर रुप से घायल हैं। हादसे के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। मौके से पहुंची पुलिस ने सभी को निकालकर पास के अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने दीपेंद्र रावत, रजनी दसौनी, माया उपध्याय और आशीष को मृत घोषित कर दिया। घायलों में प्रभा नेगी को लखनऊ रेफर कर दिया। मामूली घायल कविता और अनुज को उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया। बाकी का इलाज चल रहा है।

कुंभ जाने की योजना मोहल्ले के मंदिर में बनी
बलदेव विहार में एक दुर्गा मंदिर है। जिसकी देखरेख आशीष द्विवेदी करते थे। पूरे मोहल्ले के लोग उसी मंदिर में पूजा-पाठ करने जाते हैं। रविवार को कुंभ में स्नान करने की योजना बनी। आशीष के पास अपनी गाड़ी थी तो सब मिलकर तैयार हो गए। मंगलवार सुबह 4 बजे प्रयागराज के लिए निकलना तय हुआ। सब दुर्गा मंदिर पर एकत्रित हुए। इसके बाद कुंभ के लिए रवाना हो गए। बुधवार को स्नान करके देर शाम तक वापस आ जाने का प्लान था।

लखनऊ से निकलने के एक घंटे बाद मिली हादसे की सूचना
मोहल्ले के रहने वाले राम बोद्ध सिंह बताते हैं दीपेंद्र सिंह रावत आर्मी से रिटायर्ड थे। सुबह करीब 6:30 बजे बेटे के पास दीपेंद्र के लड़के आलोक की कॉल आई और एक्सीडेंट की जानकारी दी। आलोक को उसकी मां ने रायबरेली से कॉल करके बताया था। बिना देर किए दीपेंद्र के लड़के साथ मोहल्ले के अन्य लड़के रायबरेली के रवाना हो गए। वहां से बेटे ने मामले की गंभीरता को बताया। सूचना पाते ही मोहल्ले में लोग इकठ्ठा होने शुरू हो गए। जिसमें भी घटना सुनी उनकी रुह कांप गई।

हर 200 मीटर दूर से उठी एक अर्थी
रायबरेली में पोस्टमार्टम होने के बाद करीब 2:30 बजे एक गाड़ी दो शव लेकर लखनऊ पहुंची। जिसमें आशीष और दीपेंद्र के शव थे। शव घरों में पहुंचते चितकार मच गया। आशीष की पत्नी स्वाति शव देखकर बेसुध होकर गिर गई। मां-बाप बस यही कह रहे थे अब किसके सहारे जिएंगे। कुछ ही देर में ये क्या हो गया।
वहीं दीपेंद्र की कविता अपने पति का शव देखकर एक चीज बोल रही थी कि मुझे कुछ क्यों नहीं हुआ। मोहल्ले की महिलाएं उनको समझाती रही। बेटी अमीषा रावत लखनऊ के बाहर से पढ़ाई कर रही हैं। उनके आने के बाद अंतिम संस्कार किया गया।

बच्चे तस्वीर सीने से लगाए बैठे रहे
आशीष द्विवेदी के दो बेटे अभिषेक और आकाश हैं। घटना से बाद से दोनों विचलित हैं। नम आंखों से पापा की फोटो दिखाते हुए बोले कि वह सुबह महाकुंभ जाने के लिए निकले थे। उन्हें नहीं पता था कि अब नहीं लौटेंगे। वहीं छोटे भाई की बेटी माही बड़े पिता की अर्थी को छत से देखकर रोती रही। कुछ ज्यादा तो नहीं समझ पा रही थी। लेकिन ये पता था कि अब बड़े पिता लौटकर नहीं आएंगे।

एक दम से आंख के सामने अंधेरा छा गया
कार में बैठे अनुज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि आशीष गाड़ी चला रहे थे। जब लोग भजन गाते हुए जा रहे थे। रायबरेली पहुंचे थे तभी उल्टी दिशा से अचानक से ट्रैक्टर ट्राली आ गई। आशीष ने बचाने के लिए पूरी गाड़ी काटी लेकिन तब तक उसमें टकरा गई।
पल भर में आंख के सामने अंधेरा हो गया। हल्का होश आने पर देखा कि गाड़ी में बैठे लोग सड़क पर खून से लथपथ पड़े हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी बहन गोल्डी शुक्ला ओर मां ऊषा देवी को फोन मिलाकर हादसे की जानकारी दी।
देहरादून से बेटी के घर आई, कुंभ जाने के दौरान हादसे में मौत
मृतक रजनी दसौनी के पति लाल सिंह दसौनी की करीब 12 साल पहले मौत हो चुकी है। रजनी की दो बेटी भावना,अर्पिता और एक बेटा आशुतोष है। रिश्तेदार हरीश ने बताया कि वह 18 जनवरी को देहरादून से लखनऊ आई थी। उन्हें नामकरण के कार्यक्रम में शामिल होना था। कार्यक्रम होने के बाद वह अपनी बड़ी बेटी भावना के घर में रुकी हुई थी। शाम के वक्त मंदिर में जाती थी। वहीं पर सबके कुंभ जाने की बात पर रजनी भी तैयार हो गई। मंगलवार को उनका शव जब घर पहुंचा तो नाती प्रियांशु लिपट कर रोने लगा।

मां की अर्थी को कंधा देते हुए बेटों के छलके आंसू
मृतका माया उपाध्याय का शव घर पहुंचा तो रोना पीटना मच गया। उनके परिवार में पति विजय उपाध्याय,दो बेटे रजत और दिव्यांशु हैं। विजय प्राइवेट गाड़ी चलाते हैं। बेटा रजत टाटा कंपनी में नौकरी करता है, वहीं दिव्यांशु एमबीए कर रहा हैं। बेटे मां का शव देखकर बिलख पड़े। बोलने लगे कि कुंभ के लिए भेजा था। हमेशा के लिए चली गई। अब कौन हम लोगों की देखभाल करेगा। महज दो घंटे में हम अनाथ हो गए।
भीड़ देखकर बुलानी पड़ी पीएसी
घटना की जानकारी होते ही पूरे मोहल्ले में भीड़ जमा हो गई। हजारों की संख्या में कॉलोनीवासी और रिश्तेदारों का ताता लगना शुरू हो गया। जिसके बाद तेलीबाग चौकी प्रभारी दिनकर वर्मा पुलिस टीम के साथ मौके पर मौजूद रहे। इस दौरान शव पहुंचते ही एहतियातन के तौर पर एक प्लाटून पीएसी सुरक्षा व शांति व्यवस्था के लिए बुलानी पड़ी।