
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन चुनाव में लखनऊ जिला अध्यक्ष की कुर्सी के लिए खींचतान तेज हो गई है। 40 से अधिक नेताओं ने दावेदारी की है। चुनावी गुणा-गणित के बीच लखनऊ महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है।
बीजेपी लखनऊ जिलाध्यक्ष पद के चुनाव में वर्तमान जिला अध्यक्ष विनय प्रताप सिंह भी मजबूती दावेदारी पेश कर रहे है। उन्होंने संगठन और प्रदेश नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए दोबारा नामांकन किया है। यह राह उनके लिए आसान नहीं दिख रही है, क्योंकि कई वरिष्ठ नेता और दावेदार खुलकर मैदान में उतर चुके हैं।
इनमें पूर्व जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी, अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष कामता प्रसाद रावत, किसान मोर्चा के अध्यक्ष अतुल मिश्रा, जिला उपाध्यक्ष रवि प्रकाश तिवारी और मनोज प्रजापति जैसे दिग्गज शामिल हैं।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने जिला संगठन पर उठाए सवाल
मोहनलालगंज के पूर्व सांसद कौशल किशोर ने पार्टी के प्रदर्शन और नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने 2024 लोक सभा चुनाव में अपनी हार के लिए मौजूदा जिला नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। कौशल किशोर का समर्थन किन दावेदारों के साथ है, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनकी नाराजगी संगठन के लिए चुनौती बन सकती है।

जमीनी पकड़ रखने वाले नेता को चुनना होगा
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रभा शंकर ने कहा- बीजेपी के लिए यह चुनाव केवल नेतृत्व बदलने का मामला नहीं है, बल्कि यह आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं की एकजुटता को भी परखेगा। मोहनलालगंज से मिली हार संगठन के कामकाज पर सवाल खड़े करती है। पार्टी को इस बार युवा और जमीनी पकड़ रखने वाले नेतृत्व पर भरोसा करना होगा।
ओबीसी चेहरे पर फिर भरोसा संभव
पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि बीजेपी इस बार भी ओबीसी चेहरे पर भरोसा जता सकती है। निवर्तमान अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी और विनय प्रताप सिंह जैसे नाम इस रेस में प्रमुख हैं। संगठन के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण जिले में नेतृत्व का चयन जातीय समीकरणों और प्रदर्शन के आधार पर होगा।

दिल्ली से लगेगी अंतिम मुहर
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व फिलहाल इस मुद्दे पर चुप है। माना जा रहा है कि 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद ही लखनऊ समेत प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव पर भी संगठन की नजरें हैं, जिसके चलते सूची पर विचार फिलहाल टाल दिया गया है।
संगठन बनाम क्षेत्रीय नेता
जिला अध्यक्ष पद के लिए हो रही खींचतान ने संगठन और क्षेत्रीय नेताओं के बीच तनातनी को उजागर किया है। जहां विनय प्रताप सिंह ने अपनी उपलब्धियों का हवाला देते हुए पद पर बने रहने का दावा किया है, वहीं पूर्व जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी जैसे वरिष्ठ नेता भी अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे हैं।

कुर्सी की जंग में बढ़ा सस्पेंस
इन सबके बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर प्रदेश नेतृत्व किसके पक्ष में फैसला करता है। क्या संगठन का अनुशासन कायम रहेगा, या फिर क्षेत्रीय नेताओं की खींचतान बीजेपी को नई रणनीति बनाने पर मजबूर करेगी।
नेताओं की नाराजगी को संभालना चुनौती
प्रभा शंकर का कहना है- लखनऊ जैसे बड़े और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिले में नेतृत्व का चयन आगामी चुनावी रणनीति को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। कौशल किशोर जैसे नेताओं की नाराजगी को संभालना भी पार्टी के लिए चुनौती है।
लखनऊ जिला अध्यक्ष पद के लिए जो भी फैसला होगा, वह बीजेपी के आंतरिक समीकरणों और प्रदेश नेतृत्व की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करेगा। फिलहाल, इस चुनावी जंग में हर दावेदार अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटा है।