
लखनऊ चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक से 12 किलो सोना चोरी हुआ, लेकिन पुलिस ने सिर्फ 6 किलो की बरामदगी दिखाई। इस गड़बड़ी के बाद डीसीपी पूर्वी की SWAT टीम को भंग कर दिया गया है और 13 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
बैंक लूटकांड में डीसीपी पूर्वी की SWAT टीम भंग, 13 पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध मिली है। चोरी के बाद अचानक छुट्टी पर गए पुलिसकर्मी जांच के घेरे में है।
चोरी या बंदरबांट?
ADCP पूर्वी पंकज सिंह ने सभी 13 पुलिसकर्मियों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है, लेकिन शुक्रवार को कोई भी पुलिसकर्मी सामने नहीं आया। अब शनिवार और रविवार को पूछताछ होगी। इस बीच, चार पुलिसकर्मी शक के घेरे में आ गए हैं, जो दबिश के अगले ही दिन छुट्टी पर चले गए थे। जांच में इनसे अलग से पूछताछ की जाएगी।
बैंक की सूची और पुलिस की बरामदगी में अंतर
सूत्रों के मुताबिक, बैंक प्रबंधन ने पुलिस को चोरी हुए गहनों और नकदी की 12 करोड़ की सूची दी थी, लेकिन पुलिस ने सिर्फ 6 किलो सोना बरामद करने का दावा किया। इस अंतर को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अफसर भी शक के घेरे में
पूर्वी जोन के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। डीसीपी पूर्वी ने पहले पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर किया और अगले ही दिन सभी को लाइन हाजिर कर दिया। इस फैसले के पीछे की असली वजह अब तक साफ नहीं हो पाई है।
मुठभेड़ पर भी उठे सवाल
बैंक चोरी का मुख्य आरोपी सोविंद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था, लेकिन इस एनकाउंटर पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जिलाधिकारी ने पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। नगर मजिस्ट्रेट ज्ञान चंद्र गुप्ता इस मामले की जांच कर रहे हैं और 15 दिन के भीतर गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
अब क्या होगा?
- सभी 13 पुलिसकर्मियों से ADCP पूर्वी पूछताछ करेंगे।
- चार संदिग्ध पुलिसकर्मियों की गतिविधियों पर गहरी नजर रखी जाएगी।
- मजिस्ट्रेटी जांच में पुलिस की कार्यप्रणाली की सच्चाई सामने आ सकती है।
- अब सवाल ये है कि चोरी के सोने की असली बरामदगी कितनी हुई और क्या वाकई इसमें खाकी का कोई काला खेल शामिल है?