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लोक निर्माण विभाग PWD में कोविड के दौरान एक महिला कर्मी की मौत की जांच अब राज्य विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी गई है।

लोक निर्माण विभाग PWD में कोविड के दौरान एक महिला कर्मी की मौत की जांच अब राज्य विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी गई है। इस मामले में विभागीय कर्मचारियों पर महिला का यौन शोषण करने और फिर हत्या का आरोप लगाया गया है। शिकायत पर गठित तीन सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव को भेजी थी। प्रमुख सचिव ने रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए एसआईआटी और गृह विभाग को पत्र भेजा है।

शुरुआत में यह मौत कोविड से हुई बताई गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि महिला के साथ विभागीय कर्मचारियों ने गलत व्यवहार किया था। महिला गर्भवती हो गई थी और जब उसने एक कर्मचारी से शादी करने के लिए दबाव डाला तो उसका गर्भपात करा दिया गया। उसे बहुत प्रताड़ित किया गया। इससे उसकी मौत हो गई।

मामले की जांच पहले पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता की अध्यक्षता में गठित एक तीन सदस्यीय समिति ने की थी। समिति ने मामले को गंभीर मानते हुए इसकी जांच पुलिस या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सिफारिश की थी। इसी सिफारिश पर प्रमुख सचिव ने इस मामले की जांच एसआईटी को भेज दी है। इसके तहत आरोपियों की संपत्ति की जांच की कराई जाएगी। मामले में आपराधिक आरोप होने के नाते गृह विभाग को भी जांच की संस्तुति की गई है।

आइए जानते हैं क्या है आरोप

यह मामला 2020 में पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) की एक दलित वर्ग की महिला पदाधिकारी की मौत से जुड़ा है। इसे पहले कोविड से स्वाभाविक मौत बताया गया था। बाद में इस मामले में नए आरोप लगे। विभाग के अधिकारियों को शिकायत मिली थी कि महिला के साथ विभाग के कुछ बाबुओं ने यौन शोषण किया था।

महिला गर्भवती हो गई और जब उसने एक बाबू पर शादी करने के लिए दबाव डाला, तो उसे गर्भपात करने को मजबूर किया गया। आरोप है कि उसके साथ बिजली का करंट भी दिया गया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। बताया जाता है कि इस प्रताड़ना के कारण महिला की मौत हो गई। मामले की शिकायत विभाग के नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह यादव ने की थी।

विधायक ने भी की थी शिकायत

इस मामले की शिकायत पुरवा विधायक अनिल सिंह ने भी की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोपित बाबुओं पर एक ही पटल पर बीस सालों से तैनात रहने का आरोप लगाया था। इनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति की जांच की भी मांग की गई थी। वहीं वित्त मंत्री भारत सरकार निर्मला सीता रमण के भाषण और नीतियों की आलोचना की भी शिकायत की गई थी। इन सभी आरोपों की जांच तीन सदस्यीय टीम ने की थी।

अलग-अलग संघ के पदाधिकारी हैं आरोपित

जिन बाबुओं पर रेप और हत्या के साथ बीस सालों से एक ही पटल पर जमे रहने का आरोप लगा है वे अलग अलग संगठनों के पदाधिकारी हैं। आरोप है कि पदाधिकारी होने की आड़ में ये वर्षों तक एक ही पटल पर जमे हुए थे।

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