रुपईडीहा। इंडो नेपाल बार्डर के लोग इस समय भीषण गर्मी के प्रकोप से बेहाल हैं। सड़कें तप रही हैं। रुपईडीहा नगर पंचायत में हर घर के सामने नीम के पेड़ हुआ करते थे।
पेड़ गायब हो गए। लोगो ने पक्की दुकान व मकान बना लिए। सैकड़ों की संख्या में रोडवेज डिपो पर आने वाले नेपाली यात्री बेहाल हैं। रुपईडीहा रोडवेज बस डिपो की कुछ टोटियां तो टूटी फूटी हैं व कुछ टोटियां सूखी पड़ी हैं।
सपरिवार भारत में मजदूरी करने जाने वाले नेपाली यात्रियों की दुर्दशा है। रुपईडीहा नगर पंचायत में एक अभियान के तहत दर्जनों इंडिया मार्का हैंडपंप लगवाए गए थे। आज उनका नामोनिशान नही हैं। क्षेत्र में कहीं भी किसी संस्था ने प्याऊ तक नही लगवाई। यात्री व राहगीर महंगी बोतलें खरीदकर पानी पी रहे हैं। रुपईडीहा स्थित पीएचसी में हीट स्ट्रोक के कोई भी इंतजाम नही है। सड़कें तप रही हैं। यात्रियों को पेड़ो की छाव नसीब नही हैं। अतिक्रमण के कारण राहगीर व ग्राहक तपती सड़क पर चलने को बाध्य है।
उधर पड़ोसी नेपाली जिला बांके, बर्दिया व दांग आदि जिलों में भी आसमान से आग बरस रही है। जल तथा मौसम विभाग के फील्ड कार्यालय नेपालगंज की इंचार्ज मीना शिवाकोटी के अनुसार तापक्रम 44 डिग्री के ऊपर जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि 14 जून सन् 2012 में 45 डिग्री तापमान था। कई वर्षों बाद यह स्थिति है।
नीरज कुमार बरनवाल रुपईडीहा
31/5/2024