
एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में पूंजी निवेश करने के लिए योजनाएं चलाकर लोगों को आकर्षित करने का काम कर रही है।
वहीं दूसरी तरफ बैंकों के बेलगाम अधिकारी सरकार की इन नीतियों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला अतरौलिया थाना क्षेत्र के यूनियन बैंक शाखा का आया है। जहां यूनियन बैंक के शाखा प्रबंधक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।
शाखा प्रबंधक पर आरोप है कि मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना के अंतर्गत अभ्यर्थी को सरकारी योजना की पात्रता पूरी करने के बाद जानबूझकर लाभ न दिए जाने और बिना कारण के पत्रावली निरस्त किए जाने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
इस मामले की जानकारी आजमगढ़ के उद्योग उपायुक्त एस एन रावत ने जिले के डीएम को दी थी। इसके बाद जिले के डीएम रविंद्र कुमार के निर्देश पर या मुकदमा दर्ज किया गया है।
यह था पूरा मामला
उपायुक्त उद्योग एसएस रावत ने बताया है कि एमएसएमई ईकाइयों को गति प्रदान किये जाने हेतु एवं उद्योग को प्रोत्साहित करने तथा इस क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार सृजन किये जाने एवं प्रदेश में पूंजी निवेश को आकर्षित करने हेतु प्रति वर्ष एक लाख नई सूक्ष्म इकाइयों को स्थापित किये जाने के लक्ष्य तय किया गया है।
इसके साथ मिशन मोड में आगामी 10 वर्षों की समयावधि में कुल 10 लाख नई सूक्ष्म, इकाईयां स्थापित किये जाने के महत्वपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति हेतु एक महत्वाकांक्षी नई योजना ’मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना’’ प्रारम्भ की गयी है।
इस योजना के अन्तर्गत शासन द्वारा जनपद आजमगढ़ को वित्तीय वर्ष- 2024-25 में 2000 का एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष हेतु 2200 का लक्ष्य प्राप्त हुआ है।
प्राप्त लक्ष्यों के सापेक्ष पात्र अभ्यर्थियों का चयन कर उनकी ऋण पत्रावली बैंकों को प्रेषित की जाती है। और बैंक द्वारा अभ्यर्थी को ऋण धनराशि प्रदान की जाती है।
इसी संदर्भ में गौरव मौर्य पुत्र विनोद प्रसाद मौर्य ग्राम व पोस्ट रीठिया, बूढ़नपुर, आजमगढ़ की ऋण पत्रावली यूनियन बैंक आफ इण्डिया, अतरैठ शाखा को प्रेषित की गयी थी।
अभ्यर्थी की शिकायत के अनुसार बैंक शाखा प्रबन्धक द्वारा ऋण की औपचारिकता पूर्ण करा लिये जाने के बाद भी आवेदक को ऋण प्रदान नहीं किया गया और पत्रावली निरस्त कर दी गयी।
आवेदक द्वारा जिलाधिकारी को इस आशय का शिकायती पत्र दिया गया कि सम्बंधित बैंक शाखा प्रबन्धक द्वारा ऋण की औपचारिकता पूर्ण करा लिये जाने के बावजूद उनकी पत्रावली निरस्त कर दी गयी है।
इस पर जिलाधिकारी द्वारा प्रकरण की जांच कर दोषी पाये जाने पर सम्बन्धित बैंक शाखा प्रबन्धक के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए।