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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है।

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार की शाम दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। 15 घंटे बाद बुधवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर केशव मौर्य ने फिर एक पोस्ट किया। लिखा- संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है, संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है…

इससे पहले रविवार को कार्यसमिति की बैठक में केशव ने कहा था संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है। बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। बैठक के दो दिन बाद मंगलवार को अचानक डिप्टी सीएम केशव दिल्ली जेपी नड्डा से मिलने पहुंच गए। नड्डा से केशव की करीब 1 घंटे तक बातचीत चली।

केशव प्रसाद मौर्य के ऑफिस से हुआ ट्वीट।
केशव प्रसाद मौर्य के ऑफिस से हुआ ट्वीट।

अखिलेश का ट्वीट- शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी।

अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचने वाला भाजपा में कोई नहीं है।

पहले बताते हैं केशव प्रसाद के बयान के मायने

सियासी जानकारों के मुताबिक, केशव मौर्य और सीएम योगी के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। ऐसी चर्चा है कि योगी सरकार में अफसरशाही हावी है, जिसके चलते भाजपा कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है। इसी को लेकर केशव सीएम योगी के खिलाफ हमलावर नजर आ रहे हैं।

सूत्रों की माने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से यह कहा गया है कि किसी भी सूरत में सरकार और संगठन के तालमेल को लेकर ऐसी कोई बयानबाजी ना की जाए, जिससे पार्टी हित का नुकसान हो। पार्टी चाहती है कि इसपर लगाम लगे और सरकार-संगठन के बीच एकता का संदेश दिया जाए।

कैबिनेट बैठक समेत कार्यक्रमों से दूर हो गए थे केशव

जेपी नड्‌डा 14 जुलाई को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने लखनऊ आए थे। उस समय भी भूपेंद्र चौधरी और केशव मौर्य की जेपी नड्‌डा से लंबी बातचीत हुई थी। केशव मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच अनबन की खबरें थी।

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केशव ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने नड्‌डा की मौजूदगी में लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार की वजह बताई थी।

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से केशव मौर्य कैबिनेट की बैठक में भी नहीं जा रहे। लखनऊ में रहने के बाद भी एक बार वह मीटिंग में नहीं गए थे। पौधारोपण कार्यक्रम को लेकर सीएम योगी ने जो बैठक बुलाई, उसमें भी केशव गैरहाजिर रहे थे।

मंगलवार रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने केशव मौर्य भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे।
मंगलवार रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने केशव मौर्य भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे।

आखिर क्यों नाराज हैं केशव?

2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्‍यनाथ को मिल गई। केशव को डिप्‍टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा। इसके बाद अक्सर केशव और योगी के बीच मन-मुटाव की खबरें आती रहीं।

2022 के विधानसभा चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से भी हार गए। इस चुनाव से पहले भी योगी और केशव के बीच अनबन की खबरें सामने आती रहीं। इन चर्चाओं को रोकने के लिए योगी खुद केशव के घर गए और साथ में भोजन किया।

2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्‍त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं।

वहीं, केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है। उन्‍होंने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं।

ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया। 2 साल पहले 21 अगस्त, 2022 को भी मौर्य ने यही बयान दिया था। उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था। तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी।

कहीं फिर से केशव को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी तो नहीं?

2017 में जब भाजपा ने यूपी के विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था, तब केशव मौर्य प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन इस बार जब भाजपा की लोकसभा चुनाव में कम सीटें आईं, तब भूपेंद्र चौधरी प्रदेश अध्यक्ष हैं।

वहीं, लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह कहकर हलचल फैला दी थी कि अगर भाजपा भारी बहुमत से जीती तो उसके दो महीने के अंदर योगी को हटा दिया जाएगा। लेकिन, भाजपा यूपी में इंडी गठबंधन से हार गई। एक बड़ा सवाल अभी भी जस का तस है कि इस हार की नैतिक जिम्‍मेदारी किसकी है? योगी की या भूपेंद्र चौधरी की? ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा फिलहाल केशव की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी करके डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में है।

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