उत्तर प्रदेश में 14 दिसंबर को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने न्याय व्यवस्था को नई गति दी। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), तथा न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नेतृत्व में इस आयोजन ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की।
प्रदेश भर में आयोजित इस विशेष लोक अदालत में शाम 5:45 बजे तक कुल 59,29,805 मामलों का निस्तारण किया गया। इनमें 52,25,359 प्री-लिटिगेशन वाद और 7,04,446 लंबित वाद शामिल हैं।न्याय में पारदर्शिता और तेजीयह लोक अदालत न केवल लंबित मामलों के बोझ को कम करने में सहायक रही, बल्कि न्याय प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने का भी माध्यम बनी। आयोजन के दौरान, जिला प्रशासन और विधिक सेवाओं ने संयुक्त प्रयास किए, जिससे बड़ी संख्या में मामलों का निस्तारण सुनिश्चित हुआ।
प्री–लिटिगेशन मामलों पर खास ध्यान
प्री-लिटिगेशन मामलों के निस्तारण में 52 लाख से अधिक मामलों का सुलहपूर्ण समाधान हुआ, जो यह दिखाता है कि आपसी विवादों को न्यायालय के बाहर सुलझाने की प्रक्रिया कितनी कारगर हो सकती है।लंबित मामलों में बड़ी सफलतासात लाख से अधिक लंबित मामलों का निस्तारण इस बात का संकेत है कि लोक अदालत जैसी पहल न्यायालयों के बोझ को हल्का करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
प्रशासन और पुलिस विभाग की अहम भूमिका
लोक अदालत की तैयारी के लिए 10 दिसंबर को उत्तर प्रदेश शासन ने एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया था। अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग ने सभी पुलिस आयुक्तों, जिलाधिकारियों और अभियोजन अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि मामलों के त्वरित और प्रभावी निस्तारण के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएं।
अंतिम आंकड़ों का इंतजार
हालांकि शाम तक 59 लाख से अधिक मामलों के निस्तारण का आंकड़ा सामने आया, लेकिन प्राधिकरण ने बताया कि अंतिम संख्या अभी प्रतीक्षित है।