विधानसभा सत्र 16 घंटे 15 मिनट तक चला था। हालांकि बहस 13 घंटे 52 मिनट तक हुई जबकि 2 घंटे 23 मिनट की कार्रवाई हंगामें और झगड़े की भेट चढ़ गया। 19 से 19 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में इस बार काफी कुछ देखने को मिला। इस दौरान साल 2024 में 12 विधेयक संशोधन किया गया। विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने संसदीय लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने का आह्वान किया।
लखनऊ। 18वीं विधानसभा के वर्ष 2024 के तृतीय सत्र में कुल चार उपवेशन हुए, जिनकी कुल समयावधि 16 घंटे 15 मिनट रही। इसमें सदन की कार्यवाही 2 घंटे 23 मिनट तक स्थगित रही, जबकि स्थगन रहित कार्यवाही कुल 13 घंटे 52 मिनट तक चली। छोटा सत्र होने के बाद भी इस बार काफी चर्चा रही।
प्रथम सत्र में प्राप्त सूचनाओं की संख्या 7 रही, जिनमें से 3 सूचनाओं को सुना गया। जबकि द्वितीय सत्र में 16 सूचनाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 2 सुना गया। तृतीय सत्र में कुल 11 सूचनाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 3 सुना गया। कुल मिलाकर साल 2024 के तीनों सत्रों में 34 सूचनाओं में से 8 सूचनाओं को सुनकर ग्राह्य किया गया।
साल 2024 में चले सत्र के दौरान नियम 301 के तहत काफी ज्यादा सवाल हुए। इसमें प्रथम सत्र में 381 सूचनाएं विधान सभा की पटल पर पहुंची। इसमें से 273 स्वीकृत और 108 अस्वीकृत किया गया। इसके अलावा द्वितीय सत्र में 358 सूचनाओं में से 197 स्वीकृत और 161 अस्वीकृत रहीं जबकि तृतीय सत्र में 315 सूचनाओं में से 226 स्वीकृत और 89 अस्वीकृत रहीं।
पूरे साल में 2809 प्रश्न प्राप्त हुए
पूरे साल के दौरान चले विधान सभा में करीब 384 तारांकित और 1966 अतारांकित प्रश्न स्वीकृत हुए किए गए। इसमें उत्तरित तारांकित प्रश्नों की संख्या 78 और उत्तरित अतारांकित प्रश्नों की संख्या 768 रही। बड़ी बात यह रही कि 89.14% प्रश्न करीब 2504 सवाल सदस्यों द्वारा ऑनलाइन पूछा। यह बताता है कि सदन के सदस्य डिजीटल होते जा रहे है। इसमें प्रथम सत्र में 75 तारांकित और 525 अतारांकित प्रश्न ऑन लाइन पूछे गए। दूसरे सत्र में 75 तारांकित और 744 अतारांकित प्रश्न ऑन लाइन रहे जबकि तृतीय सत्र में 78 तारांकित और 768 अतारांकित प्रश्न रहे।
वर्ष 2024 में कुल 7446 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें से 6478 (87%) प्रश्न ऑनलाइन प्राप्त हुए। अभी तक 2022-2024 के दौरान कुल 13248 याचिकाएं प्राप्त हुईं, जिनमें 7796 ग्राह्य किया गया और 2478 अग्राह्य किया गया।
वर्ष 2024 के तृतीय सत्र में कुल 12 विधेयक प्रस्तुत किए गए:
1. उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2024
2. उत्तर प्रदेश माल और सेवाकर (संशोधन) विधेयक, 2024
3. उत्तर प्रदेश जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक, 2024
4. उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2024
5. उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (छठवां संशोधन) विधेयक, 2024
6. उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (सातवां संशोधन) विधेयक, 2024
7. उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (आठवां संशोधन) विधेयक, 2024
8. उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग (संशोधन) विधेयक, 2024
9. उत्तर प्रदेश माल और सेवाकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024
10. उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (संशोधन) विधेयक, 2024
11. उत्तर प्रदेश राज्य क्रीड़ा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024
12. उत्तर प्रदेश विनियोग (2024-2025 का द्वितीय अनुपूरक) विधेयक, 2024
वर्तमान सत्र में हुई घटनाएं संसदीय लोकतंत्र के लिए निराशाजनक
सतीश महाना ने कहा कि वर्तमान सत्र में हुई घटनाएं संसदीय लोकतंत्र के लिए निराशाजनक रही हैं। उन्होंने कहा कि विधायिका यदि स्वंय अनियंत्रित होगी, तो वह कार्यपालिका को नियंत्रित नहीं कर सकती। संविधान के सुसंगत प्रावधानों के तहत कार्यपालिका, विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
विधानसभा के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद महाना ने कहा कि सदन में जनहित के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, पिछले ढाई वर्षों में सदन में कोई व्यवधान नहीं हुआ। यदि एक दिन व्यवधान हुआ भी है, तो यह चिंताजनक है, लेकिन सदस्यों को संसदीय गरिमा और उच्च परंपराओं के अनुसार आचरण करना चाहिए। यह जिम्मेदारी स्वयं सदस्यों की होती है।
महाना ने सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की खबरें सामने आती हैं। इन पर संवाद कार्यक्रमों में चर्चा की जाएगी ताकि विधायकों को इससे निपटने में मदद मिल सके। विधानसभा अध्यक्ष ने सभी विधायकों से अपील की कि वे संसदीय गरिमा को बनाए रखते हुए, जनहित के लिए समर्पित होकर कार्य करें।