लखनऊ में गर्मी जानलेवा हो चुकी है। श्मशान घाट और पोस्टमॉर्टम हाउस में कोरोना जैसे हालात हैं। एक हफ्ते में केजीएमयू में पोस्टमॉर्टम हाउस में 236 शव पहुंचे। सबसे ज्यादा 45-45 बॉडी 30 और 31 मई को पहुंची है। इन दोनों दिन शहर का तापमान भी 45 डिग्री के ऊपर दर्ज हुआ है। यह पिछले 50 साल में चौथा सबसे अधिकतम तापमान है।
पोस्टमॉर्टम हाउस के एक डॉक्टर नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते हैं की आम दिनों में पोस्टमॉर्टम हाउस पर 10-12 बॉडी आती थी। लेकिन पिछले एक हफ्ते में इनकी संख्या तीन से चार गुना बढ़ चुकी है। यहां शव रखने के लिए जगह तक नहीं बची है। कोरोना के टाइम जैसा एकदम फील हो रहा है। इनमें तमाम बॉडी ऐसी हैं, जिनकी शिनाख्त तक नहीं हो सकी है। ऐसा क्यों हो रहा है, इस सवाल पर डॉक्टर कहते हैं कि फिलहाल तो गर्मी ही वजह समझ आ रही है।
लखनऊ में पिछले 3 दिनों में ही 131 शव पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। इनमें से सिर्फ 28 शवों की पहचान हो सकी है। पोस्टमॉर्टम हाउस जैसा ही हाल शहर के तीन श्मशान घाटों का भी है।
श्मशान घाट पर आम दिनों से 3 गुना ज्यादा लाशें पहुंच रहीं
लखनऊ में अंतिम संस्कार के लिए 3 प्रमुख श्मशान घाट हैं। इनमें भैंसाकुंड, VVIP रोड और गुलाला घाट शामिल हैं। यहां अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले शवों की संख्या अचानक 3 गुना तक बढ़ गई है। इन जगहों पर 25 मई से पहले रोजाना औसतन 10 से 12 शवों का ही अंतिम संस्कार होता था। लेकिन 30, 31 मई और 1 जून को यहां 30 से ज्यादा अंतिम संस्कार हुए हैं। VVIP रोड पर बने बैकुंठ धाम में शवों के अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफॉर्म भी कम पड़ गए। तीन से चार दिन यहां शव नीचे ही जलाने पड़े।
26 मई से बढ़ गई बॉडी, रात 10 बजे तक डॉक्टर कर रहे पोस्टमॉर्टम
पोस्टमॉर्टम हाउस के एक अन्य डॉक्टर ने बताया कि सामान्य दिनों में 10 से 12 शव पोस्टमॉर्टम के लिए पहुंचते थे, लेकिन 26 मई के बाद से यह आंकड़ा अचानक बढ़ गया है। 27 से 29 मई के बीच 20 से 30 शव रोजाना आ रहे थे। फिर 30 मई से ये और बढ़ गए। पोस्टमॉर्टम करने का समय सूर्यास्त तक ही होता है, लेकिन इतने ज्यादा शव आ रहे कि रात 10 बजे तक कर्मचारी-डॉक्टर पोस्टमॉर्टम करने में जुटे हैं।
हम लोगों की हालत बहुत खराब है। इतनी गंदगी हो जाती है कि सफाई करते समय ऐसा लगता है जैसे उल्टी हो जाएगी। इतनी मौतों का कारण गर्मी ही समझ आ रहा है। हां एक दो लोगों की मौत बीमारी से भी हुई है। एक्चुअल वजह तो बिसरा रिपोर्ट में ही आती है।
मंगलवार और रविवार को बहुत लोग नहीं ले जाते अस्थियां
भैसाकुंड श्मशान के पंडा सत्यम तिवारी ने बताया कि यहां बैकुंठ धाम में पहले रोजाना 15 से 16 लाशों का अंतिम संस्कार होता था। लेकिन कुछ दिनों से दोगुना शव पहुंच रहे हैं। इस वक्त रोजाना कम से कम 30 से 32 शव आ रहे हैं।
वहीं, श्मशान घाट के एक और पंडा कल्लू तिवारी ने कहा कि गर्मी की वजह से मंगलवार और रविवार को बहुत लोग अस्थियां नहीं लेते हैं। इस वजह से प्लेटफॉर्म खाली नहीं हो पा रहा है। पिछले 4-5 दिनों से शवों की संख्या काफी बढ़ी है।
कुछ परिजनों की आपबीती, जिन्होंने अचानक अपनों को खो दिया
पहला मामला- पुलिस का फोन आया कि आपके भाई की मौत हो गई
रायबरेली निवासी अखिलेश के पास पुलिस का फोन आया कि आपके भाई की मौत हो गई है। इनका शव पोस्टमॉर्टम हाउस लखनऊ में रखा गया है। अखिलेश बताते हैं कि भाई अनिल कुमार (55) बुधवार को अपने बेटे से मिलने दिल्ली गए थे। गुरुवार को वह लौट रहे थे। कैसरबाग पहुंचते ही बेहोश होकर गिर गए। पुलिस ने अज्ञात समझकर शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मुझे लगता है कि हीट वेव की वजह मौत हो गई है। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कोई भी कारण स्पष्ट नहीं है।
दूसरा मामला- अचानक दोपहर में गिरे फिर उठे ही नहीं
लखीमपुर खीरी के अच्छे लाल (45) लखनऊ में मजदूरी करते थे। अच्छे लाल के गांव से आए महेश पाल बताते हैं कि शुक्रवार दोपहर 3 बजे अचानक वह अचेत होकर गिर गए। आसपास के लोगों ने पानी डाला, लेकिन उनको होश नहीं आया। तब लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस अच्छे लाल को लेकर अस्पताल पहुंची। यहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों को जानकारी दी गई। लखीमपुर से उनका परिवार लखनऊ पहुंचा। शनिवार को अच्छे लाल का पोस्टमार्टम हुआ। इनके भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
तीसरा मामला- फर्श पर बैठे-बैठे हो गई मौत
लखनऊ के अनिल बताते हैं कि शिव बहादुर (55) शुक्रवार दोपहर उनकी दुकान पर बैठे थे। 2 बजे वह अचानक फर्श पर गिर पड़े। उनको गर्मी की वजह से चक्कर आया था। उन्हें लोकबंधु अस्पताल पहुंचाया गया, यहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। हालांकि पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है।
चौथा मामला- ड्यूटी में तैनात PAC जवान की मौत
दो दिन पहले रमाबाई मैदान में ड्यूटी के दौरान सहारनपुर के PAC जवान की मौत हो गई। उनके भाई रामकुमार ने बताया कि शाम को फोन आया कि आप जल्दी से आ जाइए, आपके भाई की तबीयत बहुत खराब है। जब हम लखनऊ पहुंचे तो भाई की मौत हो चुकी थी। हमें लगता है कि गर्मी के कारण ही उनकी जान गई है। क्योंकि, कई दिनों से वह लगातार ड्यूटी कर रहे थे।
पांचवां मामला- अचानक हुई घबराहट फिर मौत
लखनऊ के रहने वाले विष्णु सोनी ने बताया कि मेरा भाई मनीष सोनी प्राइवेट जॉब करता था। जानकारी मिली कि उसे गर्मी महसूस हुई। फिर तबीयत खराब हो गई। बाद में मौत हो गई। भाई की मौत हीट वेव से ही हुई है।
छठा मामला- टॉप फ्लोर पर रूम, नहीं बर्दाश्त हुई गर्मी
लखनऊ के रहने वाले नीरज निगम ने बताया कि गर्मी की वजह से बहन की मौत हो गई। वह घर पर टॉप फ्लोर पर रहती थी। जब हम वहां पहुंचे तो दरवाजा अंदर से बंद था। वह कुर्सी पर बैठे-बैठे ही मर चुकी थी। मुझे लगता है कि उम्र ज्यादा होने की वजह से गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई।
परिजन बोले- बुरी तरह से रखी जा रहीं लावारिस लाशें
जो लोग शवों के साथ आए हैं, वो भी गर्मी से बेहाल हैं। उनका कहना है कि अपनों को यहां छोड़कर तो हम लोग जा नहीं सकते। कम से कम उनका अंतिम संस्कार तो अच्छे से कर दें। यहां लावारिस लाशों को बहुत बुरी तरह से रखा जा रहा है। उनको कहीं पर भी डाल दिया जाता है। ये लोग भी क्या करें, जगह कम है और शव ज्यादा। इसी डर से हम लोग भी अपने शव को छोड़कर कहीं नहीं जा रहे।
कुछ ने बताया कि किसी तरह से पानी और हाथ वाले पंखे से हवा करके यहां समय गुजार रहे हैं। यहां बैठने के बाद कुछ भी खाने-पीने का मन नहीं कर रहा। ऊपर से गर्मी ने जीना मुश्किल कर दिया है। हम लोग तो धूप से बचने के लिए पेड़ या फिर छत का सहारा ले रहे हैं। लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि जगह भी कम पड़ रही है।
हम जो कपड़े पहने हैं, वो पसीने से कड़े हो गए हैं। दिन भर थोड़ी सी छांव में कहीं बैठ जाते हैं। अगर लेटना पड़ता है तो कोई ऐसी जगह ढूंढते हैं जो धूप में तपी न हो। जमीन इतनी गर्म है कि हम लोगों के पैर जलने लगते हैं। एक तो पहले अपनों को खोने का दर्द है, फिर मरने के बाद उनकी ऐसी हालत देखी नहीं जा रही।
कर्मचारी बोले- नहाने के बाद भी आती है शरीर से बदबू
पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों का कहना है कि बदबू से बचने के लिए हम लोग मुंह पर दो से तीन परत करके कपड़ा बांधते हैं। लेकिन गर्मी की वजह से मुंह पर दाने निकल रहे हैं। बार-बार मुंह धुलने की वजह से चेहरा भी सूख रहा है।
ऐसा लगता है, हमेशा शरीर से बदबू ही आती रहती है। यहां तो और लोगों की मांग भी की गई है। जिससे जल्दी-जल्दी पोस्टमॉर्टम किया जा सके। साथ ही जो डॉक्टर पोस्टमॉर्टम कर रहे हैं, उनको भी थोड़ा आराम मिल सके।
लखनऊ के रेलवे-स्टेशनों पर 5 दिन में 17 लाशें मिलीं:ज्यादातर मौतें गर्मी से, ट्रेन लेट होने से भी बिगड़ रही यात्रियों की तबीयत
लखनऊ के रेलवे स्टेशनों पर 5 दिनों में 17 लावारिश लाशें मिली हैं। ज्यादातर लाशें पटरियों और प्लेटफॉर्मों पर पड़ी मिली। इन लाशों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। ज्यादातर मौतों का कारण भीषण गर्मी बताया जा रहा है, हालांकि आधिकारिक तौर पर मौत की वजह स्पष्ट नहीं है। वैसे भी मौत गर्मी से हुई या नहीं, यह पोस्टमॉर्टम से भी पता नहीं चलता। GRP थाना प्रभारी निरीक्षक संजय खरवार का कहना है- चारबाग, ऐशबाग समेत 4 स्टेशनों के प्लेटफॉर्म पर 9 लाशें, जबकि पटरियों के किनारे 8 शव बरामद हुए।
वेटिंग में पोस्टमॉर्टम, डॉक्टर भी बीमार:गर्मी से मौतें, प्रयागराज में 5 दिन में पहुंचे 93 शव, कानपुर में जगह नहीं; 3 शहरों में हालात बिगड़े
यूपी में भीषण गर्मी और तपन जानलेवा हो चुकी है। प्रदेश में पिछले 5 दिनों में (रविवार तक) 211 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। प्रयागराज में 5 दिन में 93 शव पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। कानपुर में 58 शव पहुंचे। वहीं वाराणसी में नॉर्मल दिनों के मुकाबले पोस्टमॉर्टम हाउस और घाटों पर कहीं ज्यादा शव पहुंचे।
58 शवों से कानपुर का पोस्टमॉर्टम हाउसफुल हो गया है। शव रखने की जगह नहीं बची। लगातार आ रही लाशों के चलते अतिरिक्त जगह और डॉक्टरों की डिमांड की गई है। पोस्टमॉर्टम हाउस के 500 मीटर की रेंज में भीषण दुर्गंध फैल गई है। ज्यादातर मौतों का कारण भीषण गर्मी बताया जा रहा है, हालांकि आधिकारिक तौर पर मौत की वजह स्पष्ट नहीं है। वैसे भी मौत गर्मी से हुई या नहीं, यह पोस्टमॉर्टम से पता भी नहीं चलता।