सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कलकत्ता में भाजपा सरकार पर निशाना साधा। TMC की शहीद दिवस रैली में अखिलेश ने कहा- दिल्ली की सरकार चलने वाली नहीं है। ये सरकार गिरने वाली है। हम एक दिन देखेंगे कि यही सरकार गिरेगी और हमारे आपके लिए खुशियों के दिन आएंगे।
रविवार को अखिलेश ने कहा- जब हम देश की राजनीति को देखते हैं, तो आज की चुनौती बढ़ी है। सांप्रदायिक ताकतें षड्यंत्र रच रही हैं। जो सत्ता में लोग हैं, वो लगातार साजिश कर रहे हैं। बंगाल में आपने भाजपा को पीछे छोड़ दिया। यूपी ने भी आपके साथ मिलकर पीछे छोड़ दिया। ये जो कुछ दिन के लिए सत्ता में आए हैं। ये कुछ दिन के मेहमान हैं।
अखिलेश ने ममता बनर्जी के साथ मंच साझा किया
अखिलेश रविवार सुबह लखनऊ से कलकत्ता पहुंचे। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मंच साझा किया। 21 जुलाई 1993 को TMC के प्रदर्शन में 13 लोगों की जान चली गई थी। TMC कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल शहीद दिवस कार्यक्रम का आयोजन करती है।
ममता बनर्जी ने कहा- अखिलेश की बात से सहमत, दिल्ली में सरकार स्थिर नहीं
ममता बनर्जी ने कहा- मैं चाहती हूं कि बंगाल के साथ हिंदुस्तान के संबंध अच्छे हों। आप (अखिलेश यादव) यहां आए, मैं आपका शुक्रिया अदा करती हूं। मैं समाजवादी पार्टी का अभिनंदन करना चाहूंगी, क्योंकि उत्तर प्रदेश में आपने जो खेल दिखाया है। मैं आपके साथ सहमत हूं कि दिल्ली में सरकार ने एजेंसी लगाकर, चुनाव आयोग को लगाकर जो सरकार लाई गई है, वह सरकार स्थिर नहीं है, वह सरकार कभी भी जा सकती है।
उन्होंने कहा- कई लड़ाई लड़ी हैं। आगे भी लड़ना है। जब तक जिंदा हूं तब तक लडूंगी। जिन सीटों पर हम नहीं जीते हैं वहां पर लोगों के घर जाकर उनसे माफी मांगे और हमसे क्या गलती हुई यह पूछे और उस गलती को सुधारें।
रैली में अखिलेश के शामिल होने के 4 मायने
1- इंडी गठबंधन की एकजुटता को दिखाया
पॉलिटिकल एक्सपर्ट के मुताबिक, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव का एक मंच पर आना बड़ी बात है। दोनों ने एक मंच पर आकर इंडी गठबंधन की एकजुटता को दिखाया है। अखिलेश के साथ ममता के अच्छे संबंध हैं। अखिलेश ने यूपी में भदोही लोकसभा सीट TMC के लिए छोड़ी थी। हालांकि, पार्टी यहां हार गई। ममता ने पिछले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश के लिए प्रचार किया था। सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश ने खुद ममता को फोन कर शहीद दिवस रैली में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
2- सपा अन्य राज्यों में सक्रिय होना चाहती है
वरिष्ठ पत्रकार प्रभा शंकर कहते हैं- अखिलेश पश्चिम बंगाल इसलिए गए हैं, क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति में सपा अन्य राज्यों में सक्रिय होना चाहती है। 2 साल में अन्य राज्यों के चुनाव में सपा ने उम्मीदवार उतारे हैं। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर सपा ने एक लोकसभा प्रत्याशी उतारा था।
3- यूपी में एकजुट होकर लड़ेगा विपक्ष
राजनीतिक जानकार बताते हैं- 2027 में यूपी में विधानसभा चुनाव है, जिस तरीके से 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को इंडी गठबंधन ने झटका दिया। इसी तरह से विपक्ष एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अखिलेश भी इंडी गठबंधन के प्रमुख नेताओं से दूरी नहीं बनाए रखना चाहते हैं, जिससे भाजपा को किसी भी तरीके का सियासी लाभ मिल सके।
4- कांग्रेस और ममता को पास लाने की कवायद
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और TMC के बीच सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनी थी। इसके बाद दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे थे। कांग्रेस ने वामदलों के साथ गठबंधन किया था। हालांकि, इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ और TMC ज्यादा फायदे में रही।
ममता बनर्जी ने कहा था कि वे राज्य में कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं रखेंगी, लेकिन केंद्र में वो INDIA गठबंधन के साथ रहेंगी। ममता का मैसेज साफ था कि वे लोकसभा के बाद 2026 विधानसभा चुनाव में भी किसी पार्टी के साथ सीट शेयर करने के मूड में नहीं हैं।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश चाहते हैं कि INDIA गठबंधन की मजबूती के लिए ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच की दूरी खत्म हो। इससे पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में INDIA गठबंधन मजबूत होगी।
बंगाल में ममता, यूपी में अखिलेश मजबूत
2024 लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में TMC ने अकेले 29 सीटें जीतीं। 2019 में पार्टी को 22 सीटें मिलीं थीं। वहीं भाजपा 19 से 12 सीटों पर पहुंच गई। 2 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार एक सीट पर सिमट गई।
वहीं, उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा और उसकी सहयोगियों को 36 सीटें मिली हैं। वहीं, इंडिया गठबंधन को 43 सीटें मिली हैं। नगीना लोकसभा सीट आजाद समाज पार्टी के चीफ चंद्रशेखर आजाद के खाते में गई है।