लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में पुलिस एनकाउंटर में घायल लूट के आरोपी कमलेश तिवारी की 13 दिन बाद शुक्रवार सुबह इलाज के दौरान मौत हो गई। मुठभेड़ में उसके बाएं पैर में गोली लगी थी। इलाज के दौरान उसकी हालत बिगड़ी और खून की उल्टियां होने लगीं। उसे ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने रात में ही 7 साल की बेटी से कमलेश के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया। घटना को समझने के लिए UPLIVE.NEWS कमलेश तिवारी के घर पहुंचा। वहां उसकी पत्नी रूमी तिवारी मिलीं। कमलेश के परिवार में अब पत्नी, मां फूलमती तिवारी और 7 साल की बेटी है।
पत्नी बोली- पुलिस सबको गुमराह कर रही
कमलेश तिवारी की पत्नी रूमी ने कहा- पुलिस सबसे कह रही है, जब मौत हुई तब वो जेल में था। जबकि एनकाउंटर के बाद वह जेल नहीं गए। पहले दिन ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। इसके बाद डालीगंज में हड्डी के डॉक्टर के पास भेजा गया था। कमलेश रोजाना दर्द से चीखते-चिल्लाते थे।
3 नवंबर को उनका ऑपरेशन हुआ। इसके बाद डॉक्टर ने चलने के लिए मना किया तो वो नहीं चले। पैर में पश बन गया था। रोज कोई न कोई दिक्कत बढ़ती जा रही थी। इलाज भी बेहतर नहीं मिल रहा था। मंगलवार को तेज बुखार हुआ और खून की उल्टी होनी लगी। वापस ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया, जहां शुक्रवार सुबह 7 बजे मौत हो गई।
पुलिस ने जबरन कराया अंतिम संस्कार
कमलेश की मौत की जानकारी किसी को न लग सके, इसलिए पुलिस ने देर शाम पोस्टमॉर्टम कराया। गुलाला घाट पर पहले से ही सारा इंतजाम कर दिया था। अंधेरा होने पर अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया। पत्नी रूमी ने हिंदू धर्म का हवाला देते हुए मना किया। लेकिन, पुलिस अधिकारियों ने दबाव बनाकर जबरन अंतिम संस्कार करा दिया।
7 साल की बच्ची ने पिता को दी मुखाग्नि
कमलेश की चिता को उसकी 7 साल की बेटी ने मुखाग्नि दी। रूमी ने कहा- बेटी पूछती है, पापा को पुलिस ने क्यों मार दिया? कमलेश घर के अकेले कमाने वाले थे।
पुलिस वाले दोपहर को पूछताछ करने के लिए ले गए थे
रूमी ने कहा- 22 अक्टूबर को मेरे पति घर में खाना खा रहे थे। दोपहर करीब 12 बजे पुलिस टीम उनके साथी अली अब्बास को लेकर घर पहुंची। बोली, लूट में नाम आया है। पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं। पुलिस वालों के जाने के बाद हम लोग नजदीकी थाने पहुंचे। जहां कुछ पता नहीं चला। 23 अक्टूबर को मालूम हुआ कि पुलिस ने गोली मार दी, ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं।
पैर में इन्फेक्शन बना मौत की वजह
कमलेश के पैर में लगी गोली हड्डी के आर-पार हो गई थी। उसे इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर भेजा गया था। वहां 13 दिन तक इलाज चलता रहा, लेकिन इन्फेक्शन कम नहीं हुआ। बाद में खून की उल्टियां होने लगीं। ADCP उत्तरी जितेंद्र दुबे का कहना है कि कमलेश की इलाज के दौरान मौत हुई है। उसका शव परिजनों के हवाले कर दिया गया है।
क्या था पूरा मामला
जानकीपुरम और क्राइम ब्रांच पुलिस की संयुक्त टीम ने बीते 22 अक्टूबर को भिठौली क्रॉसिंग स्थित सीडीआरआई जाने वाले रास्ते पर मुठभेड़ में ठाकुरगंज के दौलतगंज ब्राह्मण टोल में रहने वाले कमलेश तिवारी को गिरफ्तार किया था।
चेकिंग के दौरान आरोपी भागते समय फिसलकर गिर गए। इस दौरान उसका साथी वजीरगंज का रहने वाला अली अब्बास मौके से भाग निकला। जबकि, कमलेश तिवारी ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में कमलेश के बाएं पैर में गोली लगी थी।
इस मामले में थी पुलिस को तलाश
पुलिस के मुताबिक, कमलेश ने जानकीपुरम सेक्टर-एफ के रहने वाले विकास कुमार सिंह की मां शैलबाला (62) की चेन लूटी थी। घटना उस दौरान की थी, जब बुजुर्ग अपनी पोती के साथ टहल रही थी। स्कूटी से आए दोनों बदमाशों ने पता पूछने के बहाने घटना को अंजाम दिया था।
कमलेश का आपराधिक इतिहास