
लखनऊ के गोमतीनगर थाने में ठग एडवोकेट महिला के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। महिला एडवोकेट उच्च अधिकारियों को झूठे मुकदमे में फंसाकर पैसे ऐंठती थी। इसके पीछे पूरा गैंग काम करता है। गैंग को इलाहाबाद कोर्ट में तैनात एक वकील चलाता है। लड़कियों के जरिए उच्च पद पर बैठे अधिकारियों से पैसे उगाहे जाते हैं।
लखनऊ के विपुल खंड स्थित कैंप कार्यालय ने सुनवाई के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया। सेक्टर M 640 आशियाना निवासी दीपक कुमार बनारस में एपीओ के पद पर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि शालिनी शर्मा जनक नगर थाना जनकपुरी सहारनपुर की रहने वाली है। वह बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के विपुल खंड स्थित कैंप कार्यालय में फर्जी मेरिज सर्टिफिकेट लगाकर उनके साथ शादी करने की झूठी शिकायत की।
2 जनवरी 2001 को मैरिज रजिस्ट्रार सहारनपुर में रजिस्टर्ड होना बताया गया। दीपक अपने परिचित के जरिए मैरिज रजिस्ट्रार तृतीय सहारनपुर से उस मैरिज सर्टिफिकेट के बारे में जानकारी मांगी। जिसकी जानकारी 20 दिसंबर 2024 को मिली। पता चला कि दीपक और शालिनी की मैरिज कार्यालय मे रजिस्टर नहीं है। शालिनी शर्मा ने फर्जी मामले में फंसाकर रुपए ऐंठने की नीयत से उनके खिलाफ बार काउंसिल ऑफ उप्र में फर्जी दस्तावेज दिए थे। जो जांच में गलत पाए गए।
जालसाजी वकील महिला की करतूत को दो केस स्टडी से समझिए, लेकिन सबसे पहले जानिए कैसे लोगों को फंसाती थी। कौन कौन लोग हैं जो महिला वकील का साथ देते है
एडवोकेट शालिनी शर्मा उच्च अधिकारियों से संपर्क करती है। संपर्क में आने के बाद अलग-अलग बहाने से पैसे लेती है। पैसे देने से मना करने पर कोर्ट के जरिए रेप के फर्जी मुकदमे दर्ज कराती है। इस गैंग को एडवोकेट अशोक कुमार पाण्डेय और वसीम अहमद चलाते हैं।
झूठे मुकदमे में फंसाकर गैंग ब्लैकमेल करके पैसे की मांग करते हैं। अगर अधिकारी दबाव में नहीं आता है, तो बदनाम करने की नीयत से एफआईआर की कॉपी उनके विभाग में भेज देती है। जिसके चलते विभाग में अधिकारी की छवि धूमिल होती है और विभागीय जांच बैठ जाती है।

गैंग कैसे करता है काम
अशोक कुमार पांडे के जरिए शालिनी शर्मा कोर्ट के आदेश पर झूठे मुकदमे दर्ज कराती है। वसीम पूरे मामले की मेडिकल बनाने में मदद करता है। जब संबंधित अधिकारी परेशान हो जाता है, तब उससे यह लोग पैसों की मांग करते हैं। संबंधित अधिकारी अपनी नौकरी अपनी इज्जत और समाज की डर की वजह से लाखों रुपए देने को तैयार हो जाते हैं। फिर अपने खातों में पैसा मंगाते हैं।
केस- 1. बनारसी बाबू को फंसाया दीपक कुमार बनारस में एपीओ के पद पर तैनात हैं। शालिनी ने उसके खिलाफ जार्ज टाउन थाना इलाहाबाद में फर्जी मुकदमा दर्ज कराया। दीपक ने बताया कि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद एडवोकेट अशोक कुमार पांडे ने संपर्क करके 10 लाख की डिमांड की।
उस दौरान पत्नी प्रेग्नेंट थी तो परेशान थे। जिसके चलते इज्जत बचाने के डर से पैसे दे दिया। दोनों ने कोर्ट में केस वापस ले लिया।कुछ दिन बाद फिर कॉल करके 35 लाख की डिमांड करने लगे। दीपक ने मना किया तो कोर्ट के जरिए शाहजहांपुर में होटल में ले जाकर रेप करने का मुकदमा लिखवा दिया।
रेप का झूठा मुकदमा दर्ज कराया
शालिनी ने अपनी गैंग के साथ मिलकर अक्टूबर 2023 में होटल में रेप की घटना दिखाई। एफआईआर की कॉपी परिवार व ऑफिस में भेज दी। इसके बाद दीपक पर विभागीय जांच बैठ गई। एसपी शाहजहांपुर से रिपोर्ट मांगी गई। जिसमें सामने आया कि दीपक ट्रांसफर जून 2023 में एपीओ बनारस के पद पर हो चुका था। जून के महीने में होटल में जाने का भी साक्ष्य नहीं मिली। न ही कोई ऐसी फुटेज जिससे आरोप सिद्ध हो सके। मामले में फाइनल रिपोर्ट लगकर केस बंद हो गया।

केस – 2. सेना के अधिकारी को फर्जी मामले में फंसाया
शालिनी शर्मा ने सहारनपुर के जनकपुरी थाना में साल 2021 में एक सेना के अधिकारी एवं उसके परिवार के खिलाफ कोर्ट के माध्यम से फर्जी मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में शालिनी व गैंग ने अधिकारी की जमीन कब्जा कर ली। अधिकारी अपनी नौकरी बचाने के लिए शांत रहे और कुछ बोल नहीं पाए। शालिनी शर्मा के खिलाफ बनारस व लखनऊ में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
बार काउंसिल ने लगाया बैन व 50 हजार का जुर्माना
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने वाराणसी के सहायक अभियोजन अधिकारी दीपक कुमार के खिलाफ रेप की झूठी शिकायत दर्ज कराने वाली महिला एडवोकेट शालिनी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। यह आदेश बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने शिकायतकर्ता एडवोकेट शालिनी शर्मा की तरफ से दाखिल शिकायती पत्र को खारिज करते हुए दिया है।
मामला हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो गया। इसके बाद शालिनी ने दीपक के खिलाफ बार काउंसिल में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद दीपक कुमार ने सबूत देते हुए शालिनी पर फर्जी विवाह प्रमाणपत्र के नाम पर ब्लैकमेलिंग का भी आरोप लगाया। जांच के दौरान अनुशासन समिति ने शिकायतकर्ता शालिनी पर लगे आरोप सही व दीपक के ऊपर लगाए गए आरोप गलत पाए। इसके बाद एडवोकेट शालिनी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है।