अकबर नगर में पुलिस की टीम देर रात तक मौजूद रहती है। यहां अवैध मकान तोड़े जा रहे हैं।
लखनऊ का कुकरैल इलाका। इसे अब अकबरनगर के नाम से ज्यादा पहचाना जा रहा है। कारण यह कि यहां बरसों से रहने वालों के आशियानों पर सरकारी बुलडोजर गरज रहा। दो-तीन मंजिला मकानों की ईंटे गिरती हैं, तो धूल के गुबार में उन घरों में रहने वालों की चीखें गुम हो जाती हैं। यहां एक-दो नहीं छोटे-बड़े 2 हजार से ज्यादा मकान तोड़ने का अभियान पूरे जोरों पर है।
पिछले 7 दिनों से यहां रोज जेसीबी मशीनें, बुलडोजर, पुलिस, नगर निगम, विकास प्राधिकरण की टीमें पहुंचती हैं और मकान गिराने का क्रम शुरू हो जाता है। 7 दिनों में 900 मकान-दुकान तोड़े जा चुके हैं और अफसरों का कहना है कि जब तक पूरी जमीन को समतल नहीं कर देंगे, अभियान जारी रहेगा।
नदी बनी नाला, अब रिवर फ्रंट बनाने की तैयारी
10 से ज्यादा लोगों के परिवार की मुखिया सबीना के आंसू रूकने का नाम नहीं लेते। वे कहती हैं, यह जमीन अमीरों को बेचने के लिए सरकार हम गरीबों को बेघर रही है। रऊफ कहते हैं जिस कुकरैल नदी की बात की जा रही है, वह नाला बन चुकी है। सरकार ने उस पर कभी ध्यान नहीं दिया। अब रिवर फ्रंट के नाम पर हमारे मकान तोड़ दिए गए।
यह पीड़ा अकेले सबीना या रऊप की नहीं है। सीमा, जयप्रकाश, विनोद की भी है। इनके मकान, दुकानें, मवेशियों के रहने की जगहें, सब पर बुलडोजर चल गया। स्थानीय लोग कहते हैं कि यह विकास का बुलडोजर नहीं हमारे अस्तित्व को मिटाने का बुलडोजर है। 70 वर्ष से यहां की गलियों में हम घूमे हैं, आज वह वीरान हैं। कुछ दिनों बाद गुमनाम हो जाएंगी।
1800 से ज्यादा परिवारों के लिए मुश्किल वक्त
अकबरनगर में 1800 से ज्यादा परिवारों का रहना था। नाले की किनारे पड़ी जमीन पर लोगों ने धीरे-धीरे कब्जा किया और अपने मकान बना लिए। बाद में पता चला कि कुकरैल नाला नहीं बल्कि कभी नदी हुआ करती थी। यह जानकारी मिलने के बाद सरकारी अमला हरकत में आया।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने यहां रिवर फ्रंट बनाने की योजना बनाई। जांच में पता चला कि सिंचाई विभाग की जमीन के साथ-साथ नगर निगम की जमीन पर भी यहां के लोगों ने कब्जा कर लिया है। उस जमीन पर अपने मकान बना लिए हैं। इसके बाद सरकार ने लोगों को हटाने का फैसला किया।
सितंबर 2023 में सर्वे हुआ
यहां सबसे पहले सितंबर 2023 में सर्वे का काम शुरू हुआ। उस दौरान पता चला कि अकबर नगर प्रथम, द्वितीय और भीमपुरा इलाके में बड़े स्तर पर लोगों ने जमीन कब्जा करके मकान से लेकर गोदाम तक बना लिया है। उसको खाली कराने के लिए दिसंबर से कार्रवाई शुरू की गई।
हालांकि पहली बड़ी कार्रवाई 22 जनवरी से शुरू हुई। जब अयोध्या रोड की मुख्य सड़क पर बने शोरूम को खाली कराया जाने लगा। लेकिन तब तक हाईकोर्ट से एक महीने का स्टे मिल गया। एक महीने बाद यहां 22 फरवरी से 10 मार्च तक अभियान चलाकर 25 कॉमर्शियल दुकानों को तोड़ा गया।
अकबरनगर में पांच दशक से भी ज्यादा समय से रहते हैं लोग
शासन और सरकार के इस दावे के खिलाफ लोगों की दलील है कि यहां पीढ़ियों से परिवार रहता आया है। 60 साल पुराने घर हैं। उस दौरान यहां जमीन काफी गहरी खाई की तरह थी। उसको लोगों ने खुद भरा और मकान बनवाए। उस दौरान कोई सरकारी विभाग रोकने के लिए नहीं आया।
स्थानीय निवासी इमरान रजा बताते हैं कि LDA 1973 में बना है। उसके 10 साल बाद तक यहां लोगों को जमीन आवंटित करने के लिए खुद LDA के अधिकारियों ने सर्वे किया था। सैकड़ों लोगों के नाम तय हुए थे। साल 1984 में यहां आवंटन होना था लेकिन किसी वजह से नहीं हो पाया। दावा है कि इसके सारे साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए हैं।
जमीन खाली कराकर उद्योगपतियों को देने का आरोप
यहां रहने वाले स्थानीय निवासियों के अलावा सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा का आरोप है कि यह इलाका शहर के बीच में है। ऐसे में रिवर फ्रंट विकसित करने की आड़ में उद्योगपतियों को यहां की जमीन देने की जा रही है।
लोगों का कहना है कि रिवर फ्रंट के लिए जितनी जमीन चाहिए, उससे ज्यादा चौड़ाई में भी जमीन ली जाती है तो भी उनके घरों गिराने की नौबत नहीं आएगी। लोगों का आरोप है कि यह जमीन उद्योगपतियों को बेची जाएगी।
अगर सरकार यह जमीन स्थानीय लोगों को ही बेच दे तो हम उसका पैसा भी देने को तैयार हैं। हालांकि इस आरोप को नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह खारिज करते हैं। उनका कहना है कि यह जमीन नगर निगम की है। वह केवल शासन को दिया जा सकता है। उसके अलावा यहां सिर्फ सरकारी योजना के तहत डेवलपमेंट कराया जा सकता है।
अकबरनगर मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होनी है
इमरान रजा बताते हैं कि मकान तोड़ने की कार्रवाई होना गलत है। सरकार और प्रशासन के लोगों को चाहिए कि सभी को सुनें। सभी की मजबूरी को समझें। यहां दो-चार परिवार नहीं हैं बल्कि 1800 से ज्यादा परिवार रहते हैं। किसी के घर में 5 तो किसी के घर में 10 लोग रहते हैं। आखिर एक कमरे के मकान में लोग कैसे रहेंगे। हमारा सब कुछ तो छीन लिया गया।
30 हजार से ज्यादा लोगों को छोड़ना पड़ा घर
जानकारों का कहना है कि यहां करीब 25 से 30 हजार लोगों को घर छोड़ना पड़ा। इसमें से गरीब वर्ग वाले लोगों को पीएम आवास योजना के तहत फ्लैट दिया जा रहा है। लेकिन उनसे इसका पैसा किस्तों में लिया जा रहा है। बड़ी परेशानी यह है कि लोगों के पास यहां से जाने के बाद रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा।
पिछले 50 सालों में बढ़ गया था अवैध कब्जा
LDA के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि यहां साल 1975 के बाद कब्जा हो रहा है। यहां तक कि 90 के दशक में यहां लोगों ने दुकान और शोरूम बनाने के साथ-साथ मोहल्ले के अंदर गोदाम बनाना शुरू कर दिया। यहां स्थायी और अस्थाई दोनों तरह के निर्माण हुए।
इसी तरह से लोगों ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके यहां बिजली-पानी के कनेक्शन ले लिए। सड़क और बाकी बुनियादी सुविधाएं भी यहां पहुंचा दी गईं। हालांकि, इसके लिए न सिर्फ LDA बल्कि नगर निगम, बिजली विभाग समेत पूरा प्रशासन जिम्मेदार है।