लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी इलाके में जीएसटी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर संतोष कुमार की पत्नी ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हैंगिंग की पुष्टि हुई है। हालांकि मृतका नीलम (39) के भाई ने बहनोई पर हत्या का आरोप लगाया है।
UPLIVE.NEWS से भाई नवीन ने कहा- वो मुझसे अक्सर कहती थी की मुझे दवा की नहीं पति के साथ की जरूरत है। पिछले 10 साल में रिश्ते सुधारने की काफी कोशिश की, लेकिन कुछ भी सही नहीं हो पाया। वो कहती थी की शादी के बाद से एक दिन का सुकुन नहीं मिला। घुट-घुटकर जी रही थी।
पहले बताते हैं क्या है मामला
दिन शानिवार सुबह के 8 बजे थे। जीएसटी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर संतोष कुमार जिम गए थे। वहां से लौटे तो कमरे में पत्नी का फंदे से शव लटका देखा। इसकी सूचना परिजनों के दी। मौके से पहुंचे लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम कराया। संतोष ने पत्नी का दाह संस्कार रात में ही कर दिया।
भाई बोला- जिस कंधे पर डोली उठाई, उसी पर अर्थी भी उठानी पड़ेगी सोचा नहीं था
बहन की आत्महत्या की सूचना मिलते ही बैंक मैनेजर भाई नवीन भी लखनऊ आ गए। नवीन लखनऊ आए तो बहन का शव अंतिम संस्कार के लिए आलमबाग स्थित बैकुंठधाम शव दाहगृह में रखा गया था। घाट पर पहुंचे भाई नवीन की आंखें नम थी। बस एक ही बात कह रहे थे कभी नहीं सोचा था कि जिस कंधे पर डोली उठाई है। उसी पर अर्थी भी उठानी पड़ेगी। अपने पति के साथ कभी खुश नहीं रही।
नवीन बताते हैं- साल 2009-10 में बहन की शादी के लिए रिश्ता खोज रहे थे। एक रिश्तेदार ने गाजीपुर के जखनिया के रहने वाले संतोष के बारे में बताया। हम लोग बात किए तो संतोष ने कहा कि उन्हें पारिवारिक लड़की चाहिए जो घर संभाले। मैं खुद अच्छा पैसा कमाता हूं इसलिए घरेलू लड़की से शादी करुंगा।
मेरी बहन नीलम पढ़ाई में बहुत तेज थी। पटना यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट थी। वो खुद भी अफसर बनना चाहती थी। पापा ने समझाया कि लड़का अच्छा है शादी कर लो। शादी के बाद उसे समझाना और तुम भी सर्विस में आ जाना।
नवीन बताते हैं कि हम चार भाई-बहनों में नीलम तीसरे नंबर की थी। अच्छा समझ कर घर वालों ने संतोष से नीलम की शादी 2010 में कर दी।
शादी के बाद से ही परेशान रहने लगी नीलम
नवीन ने बताया- आजमगढ़ से बहन की शादी बहुत धूमधाम से की। जो मांगा गया सब दिया। लेकिन बहन ने जो चाह उसे कभी नहीं मिला पाया। शादी के बाद से ही परिवार की प्रताड़ना शुरू हो गई। उसने सोचा कि पति का साथ मिलेगा लेकिन कभी नहीं मिला।
संतोष हर वक्त जलील करते। ताना देते अन्य लोगों के सामने बेइज्जत करते। सब सहती रही बस कभी बर्दाश्त न होता तो हम लोगों से शिकायत कर देती। लेकिन फिर खुद ही कहती की सब ठीक हो जाएगा।
संतोष और नीलम की दो लड़कियां हैं। एक 12 साल की श्रेया और 8 साल की खुशी। जब बच्चे हुए तो नीलम उनके साथ व्यस्त हो गई। लेकिन जिंदगी में सकुन कभी नहीं मिला जो वो चाहती थी।
लखनऊ में माता-पिता से अलग रहते हैं संतोष
नवीन ने बताया- संतोष का एक घर कृष्णानगर में है। जहां उनके माता-पिता रहते हैं। उनके पास जाते तो भी पत्नी और बच्चियों को नहीं ले जाते। यहां तक की त्योहार पर भी घर पर अकेला छोड़ देते और खुद मौज मस्ती करने निकल जाते। रिश्तेदारों से भी ढंग से बात नहीं करते थे। उनको अपने पद का अहंकार था जिसे वो अपने परिवार पर दिखाते थे।
ये चीज इतनी बढ़ गई कि बहन बीमार होने लगी। दो साल से उसका इलाज डॉक्टर पी.के दयाल के यहां से चल रहा था। दवाई का डोज लगातार बढ़ता जा रहा था। घटना से एक दिन पहले बात हुई थी तो बोल रही थी कि दवाई से कुछ नहीं होगा। बस संतोष का साथ मिल जाए और प्रताड़ना बंद हो जाए तो सारी बीमारी ठीक हो जाएगी। अब इस दवाई से तंग आ चुकी हूं।
सस्पेंड होने के बाद लखनऊ आकर बस गए
संतोष की तैनाती पहले कानपुर में थी। वहां एक मामले को लेकर सस्पेंड कर दिए गए थे। इसके बाद लखनऊ से अटैच थे। संतोष का बुरा रवैया ऑफिस के साथ परिवार को भी नहीं समझ में आता है। वह हर किसी को अपने से नीचे समझते हैं। इस वजह से रिश्तेदार भी बहुत कम ही बातचीत करते थे। यह बात भी नेहा को काफी अजीब लगती थी।