न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह केंद्र व राज्य सरकार का नीतिगत मामला है। अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि याची चाहें तो समस्त दस्तावेजों के साथ वे अपनी बात सरकार या फिर सांसद-विधायकों के समक्ष रख सकते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने सत्य नारायण शुक्ला व अन्य की ओर से वर्ष 2018 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया। याचिका के माध्यम से याची ने न्यायालय को बताया कि जाति या धर्म के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि सरकार द्वारा सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर लोगों के लिए कई येाजनाएं चलाई गई हैं।
कहा गया कि जाति और धर्म के आधार पर पहले चलाई गई समाजवादी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया गया। वर्तमान में आय के आधार पर योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कहा गया कि वर्तमान में राज्य सरकार जो भी लाभकारी योजनाएं चला रही है उनका लाभ जाति या धर्म के आधार पर नहीं दिया जा रहा है।