हजारों यात्री ढो रहे रुपईडीहा से डग्गामार वाहन।
परिवहन विभाग को लाखों का लग रहा चूना
उन्नाव हादसे से सरकार ने नही लिया कोई सबक।
रुपईडीहा बहराइच। नेपाल सीमा से सटे रुपईडीहा से नित्य हजारों की संख्या में नेपाली यात्री डग्गामार वाहनों से यात्रा कर रहे हैं। सिर्फ कहने को यूपी रोडवेज ने रुपईडीहा को डिपो का दर्जा दिया है। यहां सवारियों का टोटा पड़ा है। रोडवेज बस डिपो सुनसान पड़ा रहता है।
ड्राइवर कन्डक्टर सवारियों से मिन्नते करते देखे जाते हैं। इसका सिर्फ एक कारण है कि रुपईडीहा मे जगह जगह डग्गामार वाहनों का जमावड़ा रहता है। रुपईडीहा के चारों ओर जमीनें किराए पर लेकर इन वाहनों का संचालन किया जा रहा है। नेपालगंज में इन बसों के काउंटर लगाकर दलाल बैठे हैं।
वे वहीं टिकट काट देते हैं। दलालों के गुर्गे रुपईडीहा तक नेपालगंज से सवारियों के साथ आते हैं। यहां निश्चित स्थान पर खड़े वाहनों के गुर्गे बैठा देते हैं। नेपालगंज से रुपईडीहा आकर दलाल यहां के संचालकों को भुगतना कर देते हैं। यहां के संचालक अपना कमीशन काटकर ड्राइवर को टिकट का पैसा दे देते हैं।
इस प्रकार 3, 4 व 5 स्थानों पर नेपाली यात्री लूटे जा रहे हैं। गहन छानबीन के बाद पता लगा कि सारी एजेंसियां बिकी हुई हैं। उन्हें वाहन की संख्या के हिसाब से पेमेंट हो जाता है। वर्षो से रुपईडीहा मे यह कार्य चल रहा है। कभी कभी विभागीय दबाव पर दिखाने के लिए एआरटीओ इन वाहनों को पकड़ कर सीज कर देते हैं।
मैत्री के नाम पर बसें लगा रही हैं परिवहन विभाग को भारी चपत।
भारत नेपाल मैत्री के नाम पर नित्य 9 से 10 बसें नेपाल के बुटवल, दांग व नेपालगंज से हरिद्वार, दिल्ली, देहरादून, शिमला व लखनऊ तक जाती व आती हैं। ये टू बाई टू की लग्जरी बसें एसी हैं। नेपालगंज से सीधी ये बसें भारतीय क्षेत्र में गंतव्य तक आती जाती रहती हैं। परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों ने किस प्रकार का अनुबंध किया यह समझ से परे है।
जब रुपईडीहा बस डिपो से पता किया गया तो पता लगा कि यूपी रोडवेज की दिनभर मे 2 या 3 बसें ही यहां से 7 किलोमीटर दूर नेपालगंज तक जा रही हैं। आगे ले जाने की आज्ञा नही है। जबकि इसके उलट नेपाली बसें 6 सौ से 7 सौ किलोमीटर दूर भारतीय क्षेत्र में फर्राटे भर रही हैं। कभी भी इन डग्गामार वाहनों की कोई जांच नही होती। फिटनेस, बीमा व परमिट की जांच नही होती। रोडवेज की बसों में बीमा होता है।
ये डग्गामार वाहन यात्रियों को किसी प्रकार का कोई टिकट तक नही देते। यही नही ये डग्गामार वाहन क्षमता से अधिक सवारियां भी बैठाते हैं। नेपाल में प्राइवेट कंपनियां या मालिक ही बसें चला रहे हैं। नेपाल में कोई सरकारी परिवहन विभाग ही नही है। रुपईडीहा के दलाल इन बसों से भारी कमाई कर लाभांश का वितरण सरकारी एजेंसियों को करते रहते हैं। सूत्रों से मिली उक्त जानकारी के अनुसार एआरटीओ व पुलिस की संलिप्तता जग जाहिर है।
10 जुलाई की सुबह लगभग 5:15 बजे एक डबल डेकर बस उन्नाव के बांगरमऊ मे दुर्घटना ग्रस्त हुई। जिसमें 18 लोगो की मौत हुई व 19 गंभीर घायल हुए। इस बस का बीमा, फिटनेस व परमिट भी नही था। रुपईडीहा में टूरिस्ट वाहनों के नाम पर मात्र सवारियां ढोने का काम हो रहा है। दुर्घटना होने पर सभी मुनाफाखोर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
समय रहते यदि समानांतर चल रहे इस अवैध कारोबार पर लगाम नही लगाई गई तो रुपईडीहा डिपो घाटे का सौदा साबित होगा। रोडवेज की बसों को नेपालगंज तक न चलाकर 1 सौ 20 किलोमीटर नेपाल के सुर्खेत से चलाने की अनुमति मिल जाये तो कुछ घाटा परिवहन विभाग का कम हो सकता है।
नीरज कुमार बरनवाल रुपईडीहा
11/7/2024