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विभूतिखंड थाने में प्लाट कब्जे का एक मामला सामने आने के बाद पुलिस ने इस जालसाजी का खुलासा किया है।

यह तस्वीर विभूतिखंड थाना की है। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar
यह तस्वीर विभूतिखंड थाना की है।

रजिस्ट्रार कार्यालय के रजिस्टर ने फर्जी रजिस्ट्री की पोल खोल दी है। फर्जी रजिस्ट्री के इस काम में करोड़ों रुपए की जमीन कब्जा करने का काम रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के संरक्षण में चल रहा था। विभूतिखंड थाने में प्लाट कब्जे का एक मामला सामने आने के बाद पुलिस ने इस जालसाजी का खुलासा किया है।

मामले में संयुक्त पुलिस आयुक्त उपेंद्र अग्रवाल ने प्रमुख सचिव राजस्व और LDA को लेटर लिखकर दस साल तक हुई रजिस्ट्री की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गंभीर अपराध के मामला सामने आया है। सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे अवैध तरीके से संपत्ति की रजिस्ट्री कराने के नाम पर हो रही थी जालसाजी

पुलिस के पास प्लाट कब्जे का विवाद आया था। इसकी जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। संपत्ति की रजिस्ट्री का पंजीकरण कराने के दौरान रजिस्ट्रार कार्यालय में स्याह रजिस्टर, कैश रजिस्टर में जानकारी दर्ज करना अनिवार्य होता है। इसमें दोनों पक्ष संपत्ति खरीदने और बेचने वालों की जानकारी होती है।

इसी रजिस्टर की सिर्फ जिल्द में परिवर्तन कर रजिस्टर होने की बात दर्शा दी गई थी, जबकि पुलिस द्वारा मामले की जांच करने पता चला कि जिस प्लॉट पर आरोपी खुद का प्लॉट हाेने का दावा कर रहे उस स्याह रजिस्टर, कैश रजिस्टर में 12 अक्टूबर 2001 में किसी और की रजिस्ट्री हुई है।

यह LDA की तरफ से दूसरे व्यक्ति को आवंटित की गई थी, जबकि रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद से फर्जी रजिस्ट्री का दावा करने वाले व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों ने भी क्लेम करा दिया था।

17 फरवरी 2024 को दर्ज हुआ था मुकदमा

विभूतिखंड थाने में 17 फरवरी को साफ्टवेयर इंजीनियर अजय सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि शिवानी, मुकेश यादव, रणविजय सिंह, विजय कुमार, फैयाज, राम किशोर तिवारी, बबलू गुप्ता, राजीव भटनागर, अमित सहित 15-20 वकीलों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसमें आरोप था कि प्लॉट पर आकर आरोपियों ने कब्जा करने का प्रयास किया और डीवीआर लूट कर लेकर चले गए।

मामले में आरोपी शिवानी सिंह ने 29 अगस्त 2022 को राजकुमार से रजिस्ट्री कराई थी। मामले में पुलिस ने राजकुमार से पुलिस ने पूछताछ की। आरोपी ने कहा कि 12 अक्टूबर 2001 को LDA प्लाट आवंटित किया था। जांच में यह दावा झूठा निकला। पुलिस ने जांच तेज कर मामले में सख्ती बरती तो राजकुमार ने फर्जीवाड़े की पोल खोल दी। उसने बताया कि रजिस्ट्री 2022 में की गई थी। इसमें वर्ष 2001 था।

प्लाट पर राजकुमार को दो लाख रुपए देने पर हुई थी सहमति

राजकुमार ने पुलिस से कहा कि फैयाज ने झांसा दिया कि विभूतिखंड में एक प्लाट लिया है, जैसा कहें वैसा करो दो लाख रुपए मिलेंगे। उसने कहा कि एसबीआई और ग्रामीण बैंक का खाता नंबर आदि फैयाज ने ले लिया था और उसके खाते में जी भी पैसे आये वो सभी फैयाज एवं उसके साथियों ने निकाल लिए। क्योंकि एटीएम कार्ड एवं चेक बुक आदि उन्हीं के पास थे।

आरोपियों ने इस दौरान फर्जी दस्तावेज राजकुमार के नाम पर तैयार कर शिवानी सिंह को प्लाट बेंच दिया। राजकुमार के नाम पर LDA की तरफ से जमीन क्लेम करने की रिपोर्ट भी रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों ने लगा दी। स्याहा रजिस्टर, कैश रजिस्टर जिल्द में बदलकर कर फर्जी रजिस्ट्री लगा दी गई।

माया देवी के नाम पर भी हुआ है फर्जीवाड़ा

माया देवी के नाम से 10 दिसंबर 2001 को कार्यालय उप निबंधक द्वितीय सदर लखनऊ कार्यालय में फर्जीवाड़ा हुआ है, जबकि जांच में पता चला कि अमीरा पुनवानी की तरफ से जमीन बेंचा जा रहा है, जबकि जैन सिंह के नाम से प्लाट खरीदा गया है। पुलिस ने बताया कि संबंधित मुकदमे दो प्लाट का जिक्र था। दोनों ही प्लाट अवैध ढंग से रजिस्ट्री कराए गए।

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