लखनऊ के विकास नगर में पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में रविवार देर शाम अमन गौतम के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान भारी पुलिस बल और सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे। पुलिस की निगरानी में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल रहा। पूरा दिन राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारियों का अमन के घर पर तांता लगा रहा। सब ने साथ खड़े होकर इंसाफ दिलाने का आश्वासन दिया। इस घटना ने पुलिस की कार्य शैली पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
पूरी घटना को शुरू से समझते है
विकास नगर निवासी अमन गौतम (26) शुक्रवार रात करीब 10 बजे अपने साथियों के साथी सोनू के साथ सेक्टर- 8 स्थित अंबेडकर पार्क में थे। वहां मौजूद कुछ लड़के जुआ खेल रहे थे। तभी किसी ने पुलिस को सूचना दे दी। इसके बाद पुलिस की PRV टीम मौके पर पहुंची।
पुलिस को देखकर लड़के वहां से भागने लगे। पुलिसकर्मियों ने दौड़ाकर अमन गौतम और उसके साथी सोनू को पकड़ लिया। दोनों को थाने ले जाने के लिए पुलिसकर्मी गाड़ी में बैठाने लगे। इसी दौरान अचानक अमन बेहोश हो गया। पुलिस अमन को लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस की गांजा बरामद होने की थ्योरी में गड़बड़ी
घटना के बाद पुलिस प्रशासन लगातार मामले के छिपाने में लग गया। दोनों युवकों को आरोपी साबित करने की कवायद शुरू कर दी गई। पहले बताया कि दोनों जुआ खेल रहे थे, तभी पुलिस पहुंची तो देखकर भागने लगे। इसी हड़बड़ाहट में अमन की तबीयत बिगड़ गई।
फिर पुलिस ने बताया कि उनके पास से गांजा बरामद हुआ है। जबकि परिवार सहित इलाके के लोगों को कहना है कि अमन कोई भी नशा नहीं करता था। फिर पुलिस ने बताया कि जेब से जुए के पैसे मिले। जबकि वो रुपए चंदे के थे। 12 अक्टूबर को मोहल्ले में जागरण था। पुलिस ने जागरण की रसीद और पैसे को जुआ का पैसा बता दिया।
पुलिस ने दबाव में दूसरे लड़के सोनू का बयान जारी करवाया
पीड़ित परिवार का कहना है कि अमन के दोस्त सोनू का बयान सामने आ रहा है, जिसमें वो पुलिस द्वारा पिटाई से मना कर रहा है। अगर पुलिस ने ऐसा नहीं किया तो उससे किसी को मिलने के क्यों नहीं दे रही है। उसका परिवार तक नहीं मिल पा रहा है।
पुलिस ने जबरन बयान जारी करवाया है, ताकि अपने को सही ठहरा सकें। पुलिस ने शुरुआत में मीडिया को बताया कि परिवार साथ में था। जबकि अमन के परिवार का कहना है कि मौके पर कोई नहीं था। सोनू के घर के बाहर से दोनों को उठाया गया। जिसकी जानकारी हमें उसके बेहोश होने के बाद मिली। उसके पहले पुलिस ने क्या किया, कुछ पता नहीं।
जुड़वा बच्चों की मां बनने वाली है अमन की पत्नी
पीड़ित परिवार का कहना है कि अमन की पत्नी रोशनी को सहायता राशि और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। जिससे वो अपने बच्चों को पाल सके। असल में अमन की एक तीन साल की बेटी है। पत्नी प्रेग्नेंट है और डॉक्टर ने बताया है कि गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं।
अमन बच्चों को लेकर काफी खुश था। उसने बहुत कुछ सोच रखा था, लेकिन उसके पहले ही सब खत्म हो गया। अब जो बच्चे दुनिया में नहीं आए हैं, उनके सिर से पहले ही पिता का साया हट चुका है।
परिवार को 50 लाख मुआवजा और सरकारी नौकरी मिले- चंद्रशेखर रावण
पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे चंद्रशेखर रावण ने कहा जिस पुलिस पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है, अगर वही जान लेने लग जाए, तो कैसे कानून-व्यवस्था पर भरोसा किया जाएगा। यदि सरकार भी पुलिस के साथ हो जाए और चुप्पी साध ले, तो न्याय की उम्मीद और कम हो जाती है।
यूपी में दलितों की जान दाल से सस्ती है। मामले में एफआईआर हो गई। घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। एफआईआर कराने के लिए परिवार को सड़क पर आना पड़ा।
हमारी मांग है कि इस परिवार को 50 लाख मुआवजा और एक सरकारी नौकरी मिले। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई हो। एक जांच टीम गठित की जाए जो बाहर की हो। पुलिस ने जिन पर अत्याचार हुआ, उसी पर लाठीचार्ज किया।
पुलिस पैसे लेकर मामला रफा दफा करती रही
इलाके के लोगों का कहना है कि पार्क में जुआ होता है, लेकिन पुलिस ने जिन दो लड़कों को पकड़ा वो कभी इन कामों में नहीं रहे। असली जुआरी तो मौके से भाग निकले, क्योंकि पुलिस के आने से पहले ही उनको कोई सूचना दे देता है।
कई बार मोहल्ले में जुआ खेलने की शिकायत की गई। पुलिस आई कुछ लोगों को ले गई और कुछ ले देकर मामला खत्म कर दिया। कभी तो ऐसा भी हुआ कि सामने दिखाने के लिए अपने साथ ले गई। कुछ देर बाद वो लड़के मोहल्ले में ही दिखने लगे। इस डर की वजह से लोगों ने शिकायत करना भी बंद कर दिया।
घटना के बाद 4 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज
पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई कि पुलिसकर्मियों ने जातिसूचक गाली देने के साथ मारपीट की। पुलिसकर्मियों ने उनको इतना पीटा कि वह बेहोश हो गए। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- शैलेंद्र सिंह नाम के सिपाही ने अमन को सबसे ज्यादा पीटा।
पुलिसकर्मियों की मार से अमन बेहोश होकर गिर गए। इसके बाद पुलिसकर्मी घबरा गए और लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई।
मामले में सिपाही शैलेंद्र सिंह सहित तीन अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है। मामले में DCP उत्तरी आरएन सिंह का कहना है, कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी। जिसके लिए एक टीम गठित की जाएगी।