शहर की 10 लाख से ज्यादा की आबादी को पानी सप्लाई करने वाले कठौता झील में अवैध खनन हो रहा था। तत्कालीन जीएम ने गलत तरीके से बैक डेट में वर्क ऑर्डर दे दिया था। चार सदस्यीय टीम की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
दरअसल, झील के एक हिस्से में खुदाई का काम होना था। उसी की आड़ में जीएम ने बाकी जगहों पर भी वर्क ऑर्डर कर दिया। इसको लेकर शिकायत हुई थी। 4 लोगों की जांच कमिटी बैठी। अब उस चार सदस्यी टीम ने पाया है कि ऑर्डर गलत तरीके से किया गया था।
तत्कालीन जीएम राम कैलाश को जांच में दोषी पाया गया है। जीएम राम कैलाश की तैनाती के दौरान झील के एक हिस्से में खनन वर्क ऑर्डर हुआ था। लेकिन पूर्व जीएम जलकल राम कैलाश ने तबादला होने के बाद बाकी हिस्सों में खनन के लिए बैक डेट में वर्क ऑर्डर जारी कर दिया।
नगर आयुक्त को रिपोर्ट गई दी
मामले की जांच रिपोर्ट नगर आयुक्त को दे दी गई है। इसके बाद शासन को रिपोर्ट जाएगी। वहां से सस्पेंड करने से लेकर वसूली तक की कार्रवाई हो सकती है। इस पूरे मामले में जलकल जोन 4 के तत्कालीन एक्सईएन अनिरुद्ध भारती की भी लापरवाही सामने आई है।
बताया जा रहा है कि तत्कालीन एक्सईएन अनिरुद्ध भारती ने खनन रोकने के लिए न तो कोई कदम उठाया न ही आला अधिकारियों को जानकारी दी। अनिरुद्ध भारती मौजूदा समय जोन 7 में तैनात है। चुनाव बाद दोषी अधिकारियों पर हो सकती है कार्यवाही,
40 लाख रुपए का नुकसान
इस पूरे मामले में नगर निगम को करीब 40 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि यह नुकसान उससे ज्यादा भी हो सकता है लेकिन उसके लिए अलग से जांच बैठानी पड़ेगी। कठौता झील से इंदिरा नगर और गोमती को मिलाकर करीब 10 लाख की आबादी को पानी की सप्लाई होती है। यहां पानी कम होने से इंदिरा नहर से सप्लाई दी जाती है। ऐसे में अगर इस झील के साथ अधिकारियों ने खिलवाड़ किया तो शहर के बड़े हिस्से में पीने के पानी की किल्लत हो जाएगी।